Sunday, April 20, 2025
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World Year Ender 2024: भारत-अमेरिका के रिश्तों के लिहाज से कैसा रहा गुजरने वाला साल, ट्रंप की वापसी का क्या होगा असर?

भारत-अमेरिका के रिश्तों के लिहाज से 2024 काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इस साल से ठीक पहले जहां भारत ने नई दिल्ली के जी-20 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की आगवानी की तो वहीं बाइडेन ने इस साल क्वाड शिखर सम्मेलन में जी-4 में पीएम मोदी की आगवानी की थी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 27, 2024 17:04 IST, Updated : Dec 27, 2024 17:13 IST
भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रतीकात्मक फोटो।
Image Source : AP भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रतीकात्मक फोटो।

न्यूयॉर्क: वर्ष 2024 भारत-अमेरिका के रिश्तों के लिहाज से काफी खास रहा। इस साल अमेरिका में कई नाटकीय घटनाक्रम भी देखने को मिले। साल 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान हुआ। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित बहस में खराब प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी छोड़ दी। इसके साथ ही कड़वाहट और आरोप-प्रत्यारोप से भरे चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप दो बार किए गए जानलेवा हमलों में बाल-बाल बच गए।

आखिरकार डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से ट्रंप के मुकाबले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाया गया। मगर 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही 4 साल के अंतराल के बाद व्हाइट हाउस में उनकी दोबारा वापसी ने डेमोक्रेटिक पार्टी और इसके लाखों समर्थकों के सपनों को चकनाचूर कर दिया, जो देश में पहली महिला राष्ट्रपति देखने की उम्मीद कर रहे थे।

132 साल बाद ट्रंप ने दोहराया इतिहास

करीब 132 साल पहले राष्ट्रपति पद छोड़ने के चार साल बाद दोबारा इस पद पर काबिज होने वाले ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले ट्रंप अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति बन गए। उन्होंने अपने देश के इतिहास को 132 सालों बाद दोहरा दिया। अब ऐसे समय में जब बाइडेन प्रशासन व्हाइट हाउस छोड़ने की तैयारी कर रहा है, एक अधिकारी ने कहा कि भारत व अमेरिका के संबंध “बेहद मजबूत स्थिति” में हैं और पर्यवेक्षकों को उम्मीद है कि राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के आगामी कार्यकाल में द्विपक्षीय संबंधों को द्विदलीय समर्थन मिलता रहेगा।

2024 के अंत में भारत-अमेरिका रिश्तों में आईं चुनौतियां

साल 2024 के अंत में दोनों देशों के रिश्तों में कई नई चुनौतियां देखने को मिलीं। मगर फिर भी संबंध स्थिर बने रहे। अमेरिका में एक सिख अलगाववादी की हत्या का प्रयास किए जाने से संबंधित अभियोग जारी होने, भारतीय अरबपति गौतम अदाणी से जुड़े मामले को लेकर और ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी के मद्देनजर गुजर रहा साल का आखिरी वक्त भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र (अमेरिका) में चुनाव से पहले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र (भारत) के मतदाताओं ने ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वोट दिया।

मोदी-ट्रंप की दोस्ती लाएगी रंग

पीएम मोदी ने अपने “मित्र” ट्रंप - जो अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति चुने जाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं - को उनकी “ऐतिहासिक” जीत पर बधाई दी और कहा कि वह भारत-अमेरिका के बीच समग्र वैश्विक एवं रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए तत्पर हैं। मोदी के राष्ट्रपति बाइडेन और ट्रंप दोनों के साथ संबंध मजबूत रहे हैं। जून 2023 और सितंबर 2024 के बीच मोदी और बाइडेन दोनों ने अपने देशों में एक-दूसरे की मेजबानी की। ये यात्राएं द्विपक्षीय संबंधों की मजबूत प्रगति को रेखांकित करती हैं। जून 2023 में, बाइडेन ने वाशिंगटन में मोदी की राजकीय यात्रा की मेजबानी की और फिर सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली की यात्रा पर पहुंचे। इसके बाद जून 2024 में दोनों नेताओं की मुलाकात इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई।

पीएम मोदी ने डेलावेयर में क्वाड शिखर सम्मेलन में लिया हिस्सा

जी-7 के तीन महीने बाद पीएम मोदी डेलावेयर के विलमिंगटन में बाइडेन के घर पर आयोजित क्वाड नेताओं के चौथे शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका पहुंचे। शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय बैठक के बाद बाइडेन ने कहा कि “भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अधिक मजबूत, घनिष्ठ और अधिक गतिशील है।” रिश्तों में हालांकि उतार-चढ़ाव भी बना रहा। वर्ष 2023 में बाइडन प्रशासन ने जहां भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर अमेरिकी धरती पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या का प्रयास करने संबंधी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया, तो अक्टूबर 2024 में पूर्व भारतीय सरकारी कर्मचारी विकास यादव पर भी अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस कथित साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया।

गौतम अदाणी पर आरोपों से रिश्तों में आई तल्खी

नवंबर में, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने कारोबारी गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी के साथ-साथ एज्यूर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी अधिकारी सिरिल कैबनेस पर 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वतखोरी से संबंधित आरोप लगाया था। समानांतर कार्रवाई में, न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने गौतम और सागर अदाणी तथा अन्य के खिलाफ आपराधिक आरोपों को उजागर किया। आपराधिक अभियोग में विनीत एस.जैन, रंजीत गुप्ता, रूपेश अग्रवाल, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा ​​पर भी आरोप लगाए गए। भारत ने कहा कि यह एक कानूनी मामला है, जिसमें निजी कंपनियां और व्यक्ति तथा अमेरिकी न्याय विभाग शामिल हैं। ऐसे मामलों में स्थापित प्रक्रियाएं और कानूनी रास्ते हैं जिनका पालन किया जाएगा।

ट्रंप के साथ रिश्तों में और मजबूती की उम्मीद

ट्रंप प्रशासन के दौरान यह मामला कैसे आगे बढ़ता है यह देखने वाली बात होगी। ट्रंप ने अपने प्रशासन में भारतीयों मूल के कई लोगों को शामिल किया है। सरकारी कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) के लिए विवेक रामास्वामी, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में तुलसी गब्बार्ड, एफबीआई के निदेशक के रूप में काश पटेल, नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के. ढिल्लों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक के रूप में जय भट्टाचार्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में श्रीराम कृष्णन उन भारतीय-अमेरिकियों में शामिल हैं जिनके ट्रंप 2.0 प्रशासन में प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद है।

अधिकारियों के नजरिये से कैसे रहने वाले हैं दोनों देशों में भविष्य में संबंध

अभियोगों पर एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध ‘‘अधिक जटिल, अधिक विविधतापूर्ण और अधिक गहन होते जा रहे हैं। यह हमेशा ऐसा मामला है कि दोनों पक्षों के सामने चुनौतियां आएंगी और महत्वपूर्ण बात यह है कि हम उनसे कैसे निपटते हैं।’’ ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस में लौटने की तैयारी कर रहे हैं। हाल में उन्होंने कुछ अमेरिकी उत्पादों के आयात पर नयी दिल्ली द्वारा लगाए गए “उच्च शुल्क” के जवाब में पारस्परिक शुल्क लगाने की बात कही, जिसने काफी ध्यान आकर्षित किया है। निवर्तमान बाइडन प्रशासन ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि जनवरी में सत्ता हस्तांतरण के बाद भी भारत-अमेरिका संबंध मजबूत बने रहेंगे। (भाषा)

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