इतने हजार अरब डॉलर का कर्जदार बना दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका, सुनकर आ जाएंगे चक्कर
इतने हजार अरब डॉलर का कर्जदार बना दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका, सुनकर आ जाएंगे चक्कर
अमेरिका भले ही यूक्रेन से लेकर इजरायल जैसे देशों को बड़े-बड़े रक्षा सहायता पैकेज दे रहा हो। वह भले ही पाकिस्तान जैसे आतंक के समर्थक देशों को रक्षा और रखरखाव के नाम पर अरबों डॉलर की मदद देता है, लेकिन उसकी खुद की हालत नाजुक हो चुकी है। अमेरिका पर राष्ट्रीय कर्ज अब रिकॉर्ड 34 हजार अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।
दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के डवांडोल होने का खतरा भी है। दूसरों को कर्ज देते-देते और मदद करते-करते अमेरिका की खुद की हालत पतली हो गई है। राष्ट्रपति जो बाइडेन के शासन काल में अमेरिकी कर्ज में लगातार इजाफा होता पाया गया है। आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वक्त में अमेरिका में संघीय सरकार का कुल राष्ट्रीय कर्ज 34,000 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया है। कर्ज के इस स्तर से पता चलता है कि आने वाले वर्षों में सरकार को देश के बही-खाते को सुधारने के लिए राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।
अमेरिकी वित्त विभाग ने मंगलवार को देश की वित्तीय स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की है। यह राजनीतिक रूप से बंटे देश के लिए तनाव पैदा करने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, बिना वार्षिक बजट के सरकार के कामकाज के कुछ हिस्सा ठप हो सकता है। रिपब्लिकन सांसदों और व्हाइट हाउस ने पिछले साल जून में देश की ऋण सीमा को अस्थायी रूप से हटाने पर सहमति व्यक्त की थी, जिससे ऐतिहासिक चूक या ‘डिफॉल्ट’ का जोखिम टल गया था। यह समझौता जनवरी, 2025 तक चलेगा। अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज कहीं अधिक तेजी से बढ़ा है।
अमेरिकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है कर्ज
कांग्रेस के बजट कार्यालय ने जनवरी, 2020 में वित्त वर्ष 2028-29 में सकल संघीय ऋण 34,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। लेकिन 2020 में शुरू हुई कोविड महामारी की वजह से कर्ज इस स्तर पर अनुमान से कई साल पहले पहुंच गया है। राष्ट्रीय कर्ज का फिलहाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर कोई बोझ नहीं दिख रहा है, क्योंकि निवेशक संघीय सरकार को कर्ज देने को तैयार हैं। यह कर्ज सरकार को कर बढ़ाए बिना कार्यक्रमों पर खर्च जारी रखने की अनुमति देता है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दशकों में कर्ज का यह रास्ता राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे कई बड़े कार्यक्रमों को जोखिम में डाल सकता है। (एपी)
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