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कोरोना से हमेशा के लिए मिलेगा छुटकारा? ओमिक्रॉन के खिलाफ असरदार एंटीबॉडी की हुई पहचान

वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए वेरिएंट्स इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडी के रिऐक्शन से कैसे बचते हैं।

Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : December 29, 2021 16:28 IST
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Image Source : PTI इस नए रिसर्च से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है।

Highlights

  • वायरस से मुकाबले की उम्मीद जगाने वाला यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है।
  • इस रिसर्च से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है।
  • रिसर्चर्स ने एक अक्षम, क्लोन न बना सकने वाला ‘सूडो वायरस’ तैयार किया और इसके सहारे यह स्टडी की।

वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एक ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है जो कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन और अन्य वेरिएंट्स को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं, जो वायरस परिवर्तित होने के बाद भी वास्तव में नहीं बदलते हैं। यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है और इस अनुसंधान से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है। इस तरह से उपचार और रोकथाम का जो भी तरीका विकसित होगा वह न केवल ओमिक्रॉन बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी होगा।

अब निकलेगा वायरस से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का तरीका?

अमेरिका में ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के सहायक प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा, ‘यह अध्ययन यह बताता है कि स्पाइक प्रोटीन पर अत्यधिक संरक्षित स्थानों को निशाना बनाने वाले एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित करके वायरस के निरंतर विकास से छुटकारा पाने का तरीका निकाला जा सकता है।’ कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप में असामान्य रूप से स्पाइक प्रोटीन में 35 परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं, जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में करते हैं।

‘सूडो वायरस’ तैयार करके रिसर्चर्स ने स्टडी को दिया अंजाम
ऐसा माना जाता है कि ये परिवर्तन आंशिक रूप से इन बदलावों की व्याख्या करते हैं कि नए वेरिएंट्स इतनी तेजी से फैलने में क्यों सक्षम होते हैं, क्यों उन लोगों को भी संक्रमित करते हैं जिन्होंने टीके की खुराक ली है और उन लोगों को भी क्यों संक्रमित कर देते हैं जो पहले भी संक्रमित हो चुके हैं। वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए वेरिएंट्स इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडी के रिऐक्शन से कैसे बचते हैं। इन परिवर्तनों के प्रभाव का आकलन करने के लिए रिसर्चर्स ने एक अक्षम, क्लोन न बना सकने वाला ‘सूडो वायरस’ तैयार किया और इसके सहारे यह स्टडी की।

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