कुछ महीनों की शांति के बाद एक बार फिर कोरोना अशांति फैलाने के लिए अपना पैर पसारना शुरू कर चुका है। दुनिया भर के कई देशों में लगातार इसके केस बढ़ रहे हैं। भारत में भी लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच खबर है कि अमेरिकी सरकार नए कोरोना वायरस टीकों और उपचारों के विकास में तेजी लाने के लिए पांच अरब डॉलर से ज्यादा खर्च कर एक कार्यक्रम शुरू कर रही है, ताकि वर्तमान और भविष्य के कोविड वेरिएंट के खिलाफ बेहतर सुरक्षा की जा सके। एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोजेक्ट नेक्स्ट जेनरेशन नाम का यह कार्यक्रम सरकार को टीकों और उपचारों के विकास में तेजी लाने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी करने की अनुमति देगा।
तीन लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित
रिपोर्ट के अनुसार, नया प्रयास तीन लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करेगा। पहला- लंबे समय तक चलने वाले मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बनाना। दूसरा- म्यूकोसल प्रतिरक्षा उत्पन्न करने वाले टीकों के विकास में तेजी लाना, जिसके बारे में माना जाता है कि यह संचरण और संक्रमण के जोखिम को कम करता है। तीसरा- नए सार्स-सीओवी2 वेरिएंट के साथ-साथ अन्य कोरोना वायरस से बचाव के लिए सभी वेरिएंट पर प्रभावी वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों में तेजी लाना।
अगली पीढ़ी को होगा लाभ
ह्वाइट हाउस के कोरोना वायरस समन्वयक आशीष झा ने सोमवार को कहा, यह स्पष्ट है कि इस पर बाजार बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी लोगों के लिए उन उपकरणों को गति देने के लिए बहुत कुछ है जो सरकार कर सकती है, प्रशासन कर सकता है। झा ने कहा कि अगली पीढ़ी के कोरोना वायरस टीकों में निवेश करने से स्वास्थ्य प्रणाली पर लाभकारी प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, हमारी वैक्सीन बनाने की क्षमता जो म्यूकोसल प्रतिरक्षा उत्पन्न करती है, अन्य श्वसन रोगजनकों से लड़ाई में काफी लाभकारी होंगे जिनसे हम हर समय निपटते हैं, जैसे फ्लू और आरएसवी।
अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग में तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए सहायक सचिव डॉन ओ कोनेल के अनुसार, कुछ लैब का काम चल रहा है, और अमेरिकी सरकार ने संभावित निजी क्षेत्र के भागीदारों को खोजने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।