UNGA: रूस और यूक्रेन के बीच जंग को एक साल पूरा हो गया। इस दौरान युनाइटेड नेशन जनरल असेंबली UNGA में युद्ध को रोकने के लिए प्रस्ताव लाया गया। इस पर वोटिंग हुई, जिसमें भारत और चीन ने हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव पर 193 सदस्य देशों में से 141 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इससे पहले भी कई बार महासभा में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इस पर भारत ने वजह बताई है कि क्यों वोटिंग से भारत ने किनारा किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने देश के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने पर कारण समझाया। साथ ही इस प्रस्ताव को लेकर प्रश्नचिह्न भी लगाए। कम्बोज ने प्रस्ताव पर वोटिंग में क्यों हिस्सा नहीं लिया, इसका कारण समझाया। लेकिन पहले जान लेते हैं कि आखिर उस प्रस्ताव की बातें क्या थीं।
शांति प्रस्ताव में रखी गई थीं ये मांगें
गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव में इस मांग को दोहराया गया कि रूस, यूक्रेन के क्षेत्र से अपने सभी सैन्य बलों को तुरंत, पूरी तरह से और बिना शर्त वापस ले। इसके साथ दुश्मनी को समाप्त करने की अपील की गई। सदस्य देशों से खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, वित्त, पर्यावरण और परमाणु सुरक्षा पर युद्ध के वैश्विक प्रभावों को दूर करने के लिए सहयोग करने का आग्रह किया।
भारत ने कहा 'हम हमेशा बातचीत को ही मानते हैं एकमात्र कूटनीति '
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने भारत के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने पर कारण समझाया। उन्होंने कहा- समकालीन चुनौतियों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा होता है। भारत दृढ़ता से बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्ध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को बरकरार रखता है। उन्होंने बताया कि 'हम हमेशा बातचीत और कूटनीति को एकमात्र उपाय मानते हैं। हमने जब आज के प्रस्ताव में दिए गए उद्देश्य पर ध्यान दिया, तब स्थायी शांति हासिल करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में इसकी लिमिट्स को देखते हुए हम इस मतदान से खुद को दूर रखने के लिए मजबूर हो गए।'
भारतीय प्रतिनिधि ने प्रस्ताव पर उठाए ये सवाल
कम्बोज ने सवाल उठाया और कहा- क्या हम दोनों पक्षों के स्वीकार करने योग्य किसी नतीजे पर हैं? क्या कोई भी प्रक्रिया जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जा सकती है? उन्होंने कहा- क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, 1945-विश्व निर्माण के आधार पर, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी नहीं हो गया है?
कंबोज ने कहा कि 'भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है, जहां संघर्ष के कारण अनगिनत लोगों की जान चली गई और दुख हुआ। खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए। लाखों लोग बेघर हो गए और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए। उन्होंने नागरिकों और बुनियादी ढांचे पर हमलों की खबरों को बेहद चिंताजनक बताया।
'यह जंग का दौर नहीं है', भारतीय प्रतिनिधि ने कही ये बात
कम्बोज ने कहा कि हमने लगातार इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। हमारे प्रधानमंत्री का यह कथन कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है, दोहराए जाने योग्य है। शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है, इसके बजाय बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी ही आगे का रास्ता है। कंबोज ने ग्लोबल साउथ पर युद्ध के अनपेक्षित परिणामों पर भी प्रकाश डाला।
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