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भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में क्या था डॉ. मनमोहन सिंह का रोल, बाइडेन ने सराहा

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में डॉ. मनमोहन सिंह का अहम रोल था। उन्होंने इसके जरिये भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों की एक नई शुरुआत की थी और इसके लिए अपने राजनीतिक भविष्य तक को दांव पर लगा दिया। यह कहना है अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस का।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 28, 2024 12:02 IST, Updated : Dec 28, 2024 14:05 IST
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री।
Image Source : AP डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री।

सैन फ्रांसिस्को: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौते में अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रोल को याद करते हुए उन्हें एक महान नेता बताया है। कोंडोलीजा ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के माध्यम से अमेरिका-भारत संबंधों को मौलिक रूप से नए स्तर पर लाने में मदद की। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी डॉ. मनमोहन सिंह की तारीफ की है। निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें "सच्चा राजनेता" और "समर्पित लोक सेवक" कहा। 

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (92) का बृहस्पतिवार को रात नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। आज शनिवार को उनका नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। राइस (70) ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “मुझे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ है। वह एक महान व्यक्ति और महान नेता थे, जिन्होंने 2008 के ऐतिहासिक अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के साथ अमेरिका-भारत संबंधों को मौलिक रूप से नए स्तर पर लाने में मदद की थी।”

डॉ. मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बुश ने की थी रिश्तों की नई शुरुआत

राइस 2005 से 2009 तक विदेश मंत्री रहीं और उससे पहले 2001 से 2005 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहीं। उन्होंने यह दोनों ही पद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में संभाले थे। राइस ने उन आठ वर्षों को भारत-अमेरिका संबंधों को बदलने वाला वर्ष कहा। खास तौर पर ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के रूप में, जिसकी शुरुआत सिंह और बुश ने मिलकर की थी। राइस ने कहा, “प्रधानमंत्री सिंह ने अपने राजनीतिक भविष्य को जोखिम में डाला और उसके बाद अपनी सरकार को फिर से बनाया। ताकि एक ऐसे समझौते को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक समर्थन प्राप्त किया जा सके जो अंततः क्षेत्र की भू-राजनीतिक दिशा को बदल देगा और आने वाले दशकों के लिए दूरगामी प्रभाव डालेगा।

पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री ने जाहिर की संवेदना

मैं इस भारी क्षति के लिए भारत के लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं - ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।" इस बीच भारतीय अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने भी सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। कृष्णमूर्ति ने एक बयान में कहा, "सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने और अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बेहतर भारत और बेहतर दुनिया के लिए उनका दृष्टिकोण जारी रहेगा।”

डॉ. सिंह को हमेशा आर्थिक सुधारों के लिए किया जाएगा याद

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा कि सिंह के 1991 के बजट ने ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था को बंधनमुक्त कर दिया तथा करोड़ों भारतीयों की आर्थिक संभावनाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दिया।" उन्होंने कहा कि सिंह के दूरदर्शी सुधारों ने उनके जैसे अनगिनत युवा अर्थशास्त्रियों को प्रेरित किया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सिंह ने निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सिंह का निधन भारत और विश्व के लिए क्षति है। उन्होंने कहा, "सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेताओं में से एक के रूप में उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बदल दिया, लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला और कनाडा सहित दुनिया के साथ मजबूत संबंध बनाए।"   (भाषा) 

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