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भारत के लोकसभा चुनावों में झूठ फैलाने वालों पर अमेरिका की टेंढ़ी नगर, सोशल मीडिया पोस्ट की कराएगा निगरानी

अमेरिकी सीनेटर ने सोशल मीडिया कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से यह भी कहा कि उनके मंच एआई से बनी सामग्री को रोकने के साथ-साथ पारंपरिक फर्जी सामग्री को रोकने में भी नाकाम साबित हुए हैं। भारत, अमेरिका समेत कई देशों में इस वर्ष चुनाव हैं। ऐसे में झूठ के दुष्प्रचार को रोकना होगा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: March 16, 2024 10:54 IST
ह्वाइट हाउस। (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP ह्वाइट हाउस। (फाइल)

वाशिंगटन: भारत में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अमेरिका ने भी कमर कस ली है। भारत में चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर झूठ परोसने वाले लोगों की हर पोस्ट की अमेरिका निगरानी कराएगा। ऐसे में सच को झूठ और झूठ को सच बताकर सोशल मीडिया पर किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष के पक्ष या विपक्ष में दुष्प्रचार करने वाले और आम वोटरों को अपनी पोस्ट के जरिये गुमहरा करने वाले लोग अभी से सावधान हो जाएं। क्योंकि झूठी पोस्ट पर अमेरिका की पैनी नजर रहेगी। 

अमेरिका के एक प्रभावशाली सीनेटर ने ‘मेटा’ के मालिकाना हक वाले व्हाट्सऐप समेत सोशल मीडिया कंपनियों से पूछा है कि उन्होंने भारत में चुनाव के मद्देनजर क्या तैयारियां की हैं। सीनेटर माइकल बेनेट के मुताबिक, भारत में सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल कर फर्जी और झूठी सामग्री साझा करने का रिकॉर्ड रहा है। अमेरिकी चुनावों पर नज़र रखने वाली सीनेट की खुफिया और नियम समिति के सदस्य सीनेटर बेनेट ने सोशल मीडिया मंचों का संचालन करने वाली कंपनियों को भारत में चुनाव की घोषणा से पहले पत्र लिखकर उक्त जानकारी मांगी है।

मेटा (फेसबुक), ह्वाट्सएप और एक्स(ट्विटर) पर कड़ी नजर 

बेनेट ने ‘अल्फाबेट’, ‘मेटा’ (फेसबुक), ‘टिकटॉक’, ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) के अधिकारियों को पत्र लिखा है जिसमें इन कंपनियों से भारत समेत विभिन्न देशों में चुनाव को लेकर उनकी तैयारियों के बारे में पूछा गया है। बेनेट ने पत्र में कहा, “आपके मंचों से चुनावों में होने वाले खतरे नए नहीं हैं - पिछले चुनावों में उपयोगकर्ताओं ने ‘डीपफेक’ और डिजिटल रूप से छेड़छाड़ कर सामग्री को पोस्ट किया था - लेकिन अब, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मॉडल लोकतांत्रिक प्रक्रिया और राजनीतिक स्थिरता दोनों के लिए जोखिम बढ़ाएगा।” उन्होंने कहा कि उन्नत एआई उपकरणों के माध्यम से अब कोई भी वास्तविक दिखने वाली तस्वीरें, वीडियो और ऑडियो का निर्माण कर सकता है जो चिंताजनक है।

इस वर्ष 70 से ज्यादा देशों में होंगे चुनाव

साल 2024 में 70 से ज्यादा देशों में चुनाव होने हैं और दो अरब से ज्यादा लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। साल 2024 “लोकतंत्र का वर्ष’’ है। इस साल ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, क्रोएशिया, यूरोपीय संघ, फिनलैंड, घाना, आइसलैंड, भारत, लिथुआनिया, नामीबिया, मेक्सिको, मोल्दोवा, मंगोलिया, पनामा, रोमानिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका में चुनाव होने हैं। ‘एक्स’ के एलन मस्क, ‘मेटा’ के मार्क ज़ुकरबर्ग, ’टिकटॉक के शो ज़ी च्यू और अल्फाबेट के सुंदर पिचाई को लिखे पत्र में बेनेट ने इन मंचों की चुनाव संबंधी नीतियों, सामग्री नियंत्रण (मॉडरेशन) दल और एआई से बनाई गई सामग्री की पहचान करने के लिए अपनाए गए उपकरणों की जानकारी मांगी गई है। साथ में इसकी भी जानकारी मांगी गई है कि सामग्री नियंत्रण दल कितनी भाषाओं में हैं। उन्होंने कहा, “ दुष्प्रचार और फर्जी सूचना तथ्य और कल्पना के बीच के अंतर को धुंधला करके लोकतांत्रिक चर्चा में जहर घोलते हैं। आपके मंचों को लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए, उसे कमज़ोर नहीं करना चाहिए।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में झूठी सामग्री का न हो प्रचार

अमेरिकी सीनेटर ने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रमुख सोशल मीडिया मंचों में ‘मेटा’ के स्वामित्व वाला व्हाट्सऐप भी शामिल है और इनका भ्रामक व झूठी सामग्री को बढ़ावा देने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है। राजनीतिक तत्व जो अपने लाभ के लिए जातीय आक्रोश को बढ़ावा देते हैं, उन्हें आपके मंचों पर दुष्प्रचार नेटवर्क तक आसान पहुंच मिल गई है।” इसके बाद बेनेट ने उनकी नई नीतियों और भारत चुनावों के लिए तैनात किए गए लोगों के विवरण के बारे में पूछा। उन्होंने पूछा कि “आपने 2024 के भारतीय चुनाव की तैयारी को लेकर कोई नई नीतियां अपनाई हैं? बेनेट ने यह भी पूछा, “ आपने असमी, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संताली, मैथली और डोगरी में कितने सामग्री नियंत्रकों को फिलहाल तैनात किया हुआ है।”  (भाषा) 

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