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तिब्बत के मोर्चे पर अमेरिका ने चीन को किया चित! राष्ट्रपति बाइडेन के इस कदम से टूट जाएगा चीन?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ा कदम उठाते हुए तिब्बत विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकालने के लिए रिजॉल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। चीन ने इसे लेकर अमेरिका को चेतावनी दी थी।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: July 13, 2024 14:29 IST
US President Joe Biden- India TV Hindi
Image Source : FILE REUTERS US President Joe Biden

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने और इस हिमालयी क्षेत्र के दर्जे व शासन से संबंधित विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और दलाई लामा के बीच संवाद को बढ़ावा देने संबंधी एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। चीन ने ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ का विरोध करते हुए इसे अस्थिरता पैदा करने वाला कानून बताया था। पिछले साल फरवरी में प्रतिनिधि सभा ने जबकि मई में सीनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। 

क्या बोले बाइडेन

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार देर रात जारी एक बयान में कहा, "आज, मैंने एस 138, ‘तिब्बत-चीन विवाद समाधान को बढ़ावा देने वाले अधिनियम’ पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं तिब्बतियों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी विशिष्ट भाषाई, सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए संसद के दोनों सदनों की प्रतिबद्धता को साझा करता हूं।"

बातचीत के जरिए हो समझौता 

बाइडेन ने कहा, "मेरा प्रशासन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करता रहेगा, ताकि मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिए समझौता किया जा सके।" 

कई दौर की हो चुकी है वार्ता

चौदहवें दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भागकर भारत चले गए थे, जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार स्थापित की। 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। चीन, भारत में रह रहे 89 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता को एक "अलगाववादी" मानता है, जो तिब्बत को देश (चीन) के बाकी हिस्सों से अलग करने के लिए काम कर रहे हैं। (भाषा)

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