Highlights
- बाइडेन बोले—अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई अभी उस पर काम कर रही हैं, लेकिन जवाब अनिश्चित है।
- अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के चलते अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।
- चीन ने पिछले दो साल में व्यवसाय में काफी गिरावट का सामना किया
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन पर आयात शुल्क को हटाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे चीनी प्रोडक्ट पर लगाए गए आयात शुल्क को हटाने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चीन से आयात शुल्क हटाने के बारे में क्या किया जा सकता है, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई अभी उस पर काम कर रही हैं, लेकिन जवाब अनिश्चित है।
बाइडेन ने कहा कि भले ही अमेरिकी कंपनियां आयात शुल्क मुक्त करने के लिए कहें, पर वे आयात शुल्क पर से फिलहाल प्रतिबंध नहीं हटाएंगे। व्यापार प्रतिबंधों और आयात शुल्क न हटाने के कारण चीन हमेशा तिलमिलाता रहा है। पिछले साल चीन को पहले की तुलना में विदेशी निवेश का एक छोटा हिस्सा प्राप्त हुआ। दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के चलते अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। साथ ही आयात शुल्क में भी काफी बढोतरी कर दी थी। तभी से चीन के राष्टपति शी जिनपिंग और अमेरिका के बीच आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर आरोप—प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
क्या है आयात शुल्क, क्यों बढ़ाया था अमेरिका ने
दरअसल, वर्ष 2018 में डोनाल्ड ट्रंप का चीनी माल पर शुल्क बढ़ाने का ख़ास उद्देश्य ये था कि द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन को कम किया जा सके। उस समय ये असंतुलन लगभग 350 अरब डॉलर तक का था। आसान शब्दों में अमेरिका में चीन से बहुत अधिक सामान मँगा रहा है लेकिन चीन अमेरिका से उसकी तुलना में बहुत कम चीज़ें आयात कर रहा है।
चीन को दो साल में काफी घाटा
चीन ने पिछले दो साल में व्यवसाय में काफी गिरावट का सामना किया है। इसके तहत अब चीन 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए भी पूरी तरह से सक्षम नहीं है। इससे यह सवाल उठता है कि बाइडेन प्रशासन चीन को उन प्रतिबद्धताओं के लिए कैसे रोकेगा, जो पूरी नहीं हुई हैं। साथ ही सैकड़ों अरबों डॉलर के चीनी आयात पर शुल्क भी लगाया जाता है। ट्रम्प प्रशासन की तरह, वर्तमान अमेरिकी प्रशासन भी चीन के खिलाफ वही रूख अपना रहा है।अमेरिका को चीन की हरकतों से कई परेशानियां हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी, चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार जैसे कामों से चीन ने विश्वस्नीयता खो दी है।