वाशिंगटन। अमेरिका में भारत की रूस के प्रति झुकाव और यूक्रेन पर हुए आक्रमण पर भारत के रवैये पर अमेरिकी सांसदों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के दो सांसदों ने भारत से रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करने की अपील की है। सांसदों ने कहा कि 21वीं सदी में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू को दो सांसदों टेड डब्ल्यू ल्यू और टॉम मालिनोव्स्की ने पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा, ‘यद्यपि हम भारत के रूस के साथ संबंधों से वाकिफ हैं, लेकिन हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो मार्च को हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेने के आपकी सरकार के फैसले से असंतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस का बिना उकसावे वाला आक्रमण नियम आधारित व्यवस्था को कमतर करता है और यूकेन पर हमला करके रूस उन नियमों की भी धज्जियां उड़ाने की कोशिश कर रहा है जो भारत की भी रक्षा करते हैं। पत्र में सांसदों ने कहा,‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर को भारत के ऐतिहासिक समर्थन तथा क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत हमें उम्मीद देते हैं कि भारत रूसी हमले की पृष्ठभूमि में यूक्रेन की संप्रभुता को समर्थन देने वाले अन्य लोकतंत्रों का साथ देगा।’
उन्होंने कहा कि वे अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को गहराई से समझते हैं। साथ ही हम इस बात से रुष्ट हैं कि भारत ने रूस की इस हरकत के खिलाफ यह रुख अपनाया है। पत्र में कहा गया, हम समझते हैं कि भारत मुश्किल भरे बीच के रास्ते पर चल रहा है, लेकिन रूस की कार्रवाई का 21वीं सदी में कोई स्थान नहीं है। कई देश जिनके रूस के साथ संबंध थे, उन्होंने सही काम किया और रूसी सरकार की आलोचना की।
उन्होंने इतिहास में सही साबित होने वाले पक्ष का चयन किया और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि भारत दोनों पक्षों पर दोषारोपण के अपने वर्तमान रूख से हटेगा और इस बात को स्वीकार करेगा कि रूस आक्रामक है। दोनों सांसदों ने अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मजीद खान को भी पत्र लिखे और रूस के आक्रमण की निंदा करने की अपील की।