Highlights
- ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में की कटौती
- अमेरिका ने फैसले को बताया भूल
- अमेरिका रिजर्व से जारी करेगा तेल
US OPEC Plus: अमेरिका ने कहा है कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों का तेल उत्पादन में कटौती का फैसला एक भूल है, जिससे रूसियों को फायदा हुआ है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पियरे ने मंगलवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ओपेक प्लस ने पिछले हफ्ते जो निर्णय लिए, हमारा मानना है कि वे रूसियों के पक्ष में थे और अमेरिकी लोगों और दुनिया भर के परिवारों के हितों के खिलाफ थे।’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम मानते हैं कि यह निर्णय निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्था वाले देशों को चोट पहुंचाने और नुकसान पहुंचाने वाला है। यह गुमराह करने वाला फैसला है और यह एक भूल और अदूरदर्शी निर्णय है।’ व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस प्रशासन की शुरुआत से ही उन्होंने इसकी बात की है। सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों की बात करें तो वह इसे द्विदलीय तरीके से करना चाहते हैं, जैसा कि पिछले आठ दशकों से किया गया है।’
रिजर्व से जारी किया गया तेल
प्रेस सचिव ने इस संबंध में अधिक जानकारी साझा किए बिना कहा, ‘इसलिए, वह इसे एक व्यवस्थित तरीके से, रणनीतिक तरीके से करने जा रहे हैं और उन्हें निश्चित रूप से दोनों पक्षों के सदस्यों से जानकारी मिलने जा रही हैं।’ इस बीच खबर आई है कि बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि सरकार ईंधन की कीमतों को कम करने के लिए दिसंबर में रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व से 15 मिलियन बैरल तेल जारी करेगी।
सितंबर में रियाद गए थे बाइडेन
जो बाइडेन तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सितंबर महीने में रियाद गए थे। यहां उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। जबकि वह उनसे नफरत करने के लिए जाने जाते हैं। बावजूद इसके सऊदी अरब ने अमेरिका की बात नहीं मानी। ओपेक प्लस समूह का नेतृत्व भी सऊदी अरब ही कर रहा है और रूस भी इसका हिस्सा है। हाल में ही इस समूह ने तेल उत्पादन में प्रति दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला किया है। जिसके बाद से अमेरिका भड़का हुआ है।
क्राउन प्रिंस से नफरत करते हैं बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडेन एमबीएस को सजा देने की बात कर रहे थे। उन्होंने अमेरिकी नागरिक और मूल रूप से सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या तक के लिए सीधे-सीधे एमबीएस को जिम्मेदार ठहरा दिया था। आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी कि बाइडेन ने अतीत में कहा था कि वह क्राउन प्रिंस से कभी मुलाकात नहीं करना चाहेंगे, बल्कि वह केवल किंग से मिलेंगे। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल के बढ़ते दाम की वजह से उन्हें सऊदी अरब के आगे झुकना पड़ा। वह चाहते हैं कि सऊदी तेल का उत्पादन बढ़ा दे, ताकि तेल के दाम कुछ कम हो सकें। इसी बात के लिए उन्होंने उन्हीं एमबीएस के साथ बैठक की तस्वीरें क्लिक करवाईं, जिनसे वह कभी मुलाकात न करने का इरादा कर चुके थे।
रूस के करीब क्यों गया सऊदी अरब?
जो बाइडेन ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही सऊदी अरब को हूती विद्रोहियों के हमलों का सामना करने के लिए बीच मझदार में अकेला छोड़ दिया था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सऊदी अरब ने रूस के साथ अपनी करीबी बढ़ाई है। साथ ही सऊदी अरब ने यूक्रेन पर हमला करने के चलते रूस की आलोचना नहीं की। इसके बजाय ये दोनों देश तेल को लेकर इतना करीब आ गए हैं, जितना पहले कभी नहीं थे। सऊदी अरब भी अपने तेल से अधिकतम राजस्व कमाना चाहता है। ठीक इसी तरह रूस भी चाहता है कि वह सऊदी अरब के साथ रहकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर कर सकता है।