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UN में हुई वोटिंग, रूस से यूक्रेन के 'अवैध कब्जे' के लिए उठाए गए कदम वापस लेने की मांग, 143 देशों ने किया पक्ष में वोट

UN Russia Ukraine: रूस ने ऐलान किया था कि उसने यूक्रेन के चार क्षेत्रों दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया को खुद में शामिल कर लिया है।

Edited By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Published : Oct 13, 2022 12:34 IST, Updated : Oct 13, 2022 12:37 IST
Voting in UN on Russia
Image Source : FILE PHOTO Voting in UN on Russia

Highlights

  • यूएन में रूस को लेकर हुई वोटिंग
  • कब्जे वाले कदम वापस लेने की मांग
  • रूस ने यूक्रेनी क्षेत्रों पर किया कब्जा

UN Russia Ukraine: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में रूस के ‘अवैध कब्जे के प्रयास’ की निंदा करने और इन कदमों को तत्काल वापस लिए जाने की मांग के पक्ष में अभूतपूर्व मतदान किया है। इस मतदान के जरिए दुनिया भर के देशों ने सात महीने से जारी युद्ध और रूस की अपने पड़ोसी देश के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश पर कड़ा विरोध जताया है। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 143 ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। 

वहीं पांच देशों ने इसके विरोध में मत दिया, जबकि भारत समेत 35 देश मतदान में अनुपस्थित रहे। यह प्रस्ताव रूसी बलों द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से यूक्रेन को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा समर्थन और रूस के प्रति सबसे कड़ा विरोध है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गीय किस्लित्स्या ने इस मतदान को ‘अद्भुत’ और ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया। वहीं अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने इसे ‘एक यादगार दिन’ करार दिया।

ईयू के राजदूत ने बड़ी सफलता बताया

यूरोपीय संघ के राजदूत ओलाफ स्कूग ने प्रस्ताव को ‘एक ऐसी बड़ी सफलता’ बताया, जो ‘रूस को एक कड़ा संदेश भेजती है कि वह अलग-थलग है और रहेगा।’ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान जारी कर कहा कि इस मतदान ने यह दिखाया है कि दुनिया ‘रूस को उसके उल्लंघनकारी कदमों के लिए जवाबदेह बनाने के वास्ते अब पहले से अधिक एकजुट और प्रतिबद्ध है।’ उन्होंने कहा कि यह ‘स्पष्ट संदेश है’ कि ‘रूस एक संप्रभु देश को दुनिया के नक्शे से मिटा नहीं सकता’ और वह ‘बल प्रयोग से सीमाएं नहीं बदल सकता।’

यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर पिछले महीने कब्जा करने की रूस की घोषणा के जवाब में पश्चिमी देशों द्वारा प्रयोजित यह प्रस्ताव पेश किया गया था। रूसी संसद के दोनों सदनों ने दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों को रूस का हिस्सा बनाने से जुड़ी संधियों को मंजूरी दी थी। चारों प्रांतों में कथित जनमत संग्रह के बाद इस संधि पर मुहर लगा दी गई थी। इस जनमत संग्रह को यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने अवैध बताकर खारिज किया है।

वक्ताओं ने रखा अपना पक्ष

यूक्रेन पर आपातकालीन विशेष सत्र में वक्ताओं ने दो दिन तक अपना-अपना पक्ष रखा। इस दौरान रूस पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अहम सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया, जिसमें सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का सिद्धांत भी शामिल है। कुल 143 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं 19 अफ्रीकी देशों, दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले दो देशों चीन और भारत और पाकिस्तान और क्यूबा समेत 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया है।

महासभा से अधिक शक्तिशाली सुरक्षा परिषद रूस के वीटो अधिकार के कारण यूक्रेन के मामले में उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा पाई है। परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं, जबकि महासभा यूक्रेन पर युद्ध की निंदा करने वाले चार प्रस्ताव पारित कर चुकी है। हालांकि, महासभा में मतदान विश्व की राय को दर्शाता है, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।

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