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दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद अब सबसे ज्यादा हिंसक संघर्ष झेल रही दुनिया, जानिए और क्या बोले यूएन चीफ

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा है कि दो अरब लोग आज संघर्षरत इलाकों में रह रहे हैं और दुनिया 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद से सबसे अधिक हिंसक संघर्षों का सामना कर रही है। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 31, 2022 10:59 IST
Antonio Guterres
Image Source : ANI FILE PHOTO Antonio Guterres

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा है कि दो अरब लोग आज संघर्षरत इलाकों में रह रहे हैं और दुनिया 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद से सबसे अधिक हिंसक संघर्षों का सामना कर रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बुधवार को अपने वक्तव्य में यमन, सीरिया, म्यांमा और सूडान से लेकर हैती तक संघर्षों का हवाला दिया तथा कहा, ‘और अब यूक्रेन में युद्ध सीमाओं से बाहर फैल रहा है और इससे अनाज, ईंधन और उर्वरकों के दाम आसमान छू रहे हैं जिससे विकासशील देशों में आपदा आ गई है।’

उन्होंने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा आयोग से कहा कि पिछले साल आठ करोड़ 40 लाख लोगों को संघर्ष, हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा और इसमें यूक्रेन युद्ध शामिल नहीं है।इसके कारण पहले ही 40 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं और 65 लाख लोग देश में ही विस्थापित हुए हैं। 

27.4 करोड़ लोगों को माानवीय सहायता की जरूरत, 41 अरब डॉलर लगेंगे

गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस साल ‘कम से कम 27.4 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत होगी।’ उन्होंने कहा कि यह 2021 से 17 प्रतिशत अधिक है और इसके लिए 41 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जनवरी में आयोग को एक रिपोर्ट में दो अरब लोगों के संघर्षरत देशों में रहने का हवाला भी दिया। उन्होंने दुनियाभर में बढ़ते सैन्य तख्तापलट और सुरक्षाबलों द्वारा सत्ता पर कब्जा करने, बढ़ते परमाणु हथियार, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और संघर्षों से अपराधियों तथा आतंकवादी समूहों को हो रहे फायदे का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि ‘संघर्षों का बहुत कम राजनीतिक समाधान देखा गया’, जिसमें कोलंबिया उल्लेखनीय अपवाद है। उन्होंने कहा, ‘पिछले दशक में दुनिया ने शांति रक्षा, मानवीय सहायता और शरणार्थी सहयोग पर 349 अरब डॉलर खर्च किए और वैश्विक सैन्य खर्च 2020 में बढ़कर करीब दो लाख करोड़ डॉलर हो गया।’

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