Friday, December 20, 2024
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UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर राजनाथ सिंह ने कह दी ऐसी बात कि...सन्न रह गए सारे देश

भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सालों से बढ़-चढ़कर मुहिम चला रहा है। उसका कहना है कि वह स्थायी सदस्यता का हकदार है। अपने संबोधन में सिंह ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में काम चुके या काम कर रहे सभी भारतीयों के प्रति आभार प्रकट किया।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 13, 2023 21:31 IST, Updated : Jun 13, 2023 21:31 IST
राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री
Image Source : FILE राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री

भारत ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अपनी स्थाई सदस्यता के लिए दावा ठोका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अब यूएनएससी के विस्तार का समय आ गया है। भारत की स्थाई सदस्यता का दावा करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों को ‘और अधिक लोकतांत्रिक एवं हमारे समय की हकीकतों का द्योतक बनाया जाए। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के 75 वें साल के अवसर पर यहां आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नहीं मिलती है तो यह इस वैश्विक संगठन की ‘नैतिक वैधता को कमजोर’’ करेगा।

राजनाथ सिंह की यह बात सुनकर सभी देश सन्न रह गए। उन्होंने इस कार्यक्रम में मंच पर आसीन संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक शोम्बी शार्प की उपस्थिति में यह बात कही। अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ शांतिसैनिकों के सामने नजर आ रही चुनौतियों का स्वरूप बदल रहा है, ऐसे में नवोन्मेषी पहल तथा जिम्मेदार देशों के बीच सहयोग में वृद्धि की जरूरत है। हमें प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और संसाधनों में निवेश करना चाहिए ताकि हमारे शांतिसैनिक सुरक्षित एवं प्रभावी रहें।’’ उन्होंने शांति अभियानों में महिलाओं की सार्थक भागीदारी की पैरवी करते इस बात पर बल दिया कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में मिशन के दौरान उनके विशेष योगदान को सराहा जाना चाहिए।

राजनाथ ने कहा भविष्य की ओर देखने की जरूरत

पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन ‘यूएन ट्रूस सुपरविजन ओर्गनाइजेशन’ 29 मई, 1948 में फलस्तीन में शुरु हुआ था। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा, ‘‘ यदि हम अतीत का स्मरण करते हैं तो हमें भविष्य की ओर भी देखने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि पूरे संयुक्त राष्ट्र परिवेश पर नजर डालना महत्वपूर्ण है और यह देखने की जरूरत है कि उसमें सुधार लाने के लिए क्या किया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ एक सबसे अहम सुधार, जो हमारी बाट जोह रहा है, वह है निर्णय लेने वाले संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों , जिनमें सुरक्षा परिषद भी शामिल है, उन्हें दुनिया की लोकतांत्रिक वास्तविकताओं का और अधिक द्योतक बनाया जाए।’’

ये हैं स्थाई सदस्य

फिलहाल सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य और 10 निर्वाचित अस्थायी सदस्य होते हैं। स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं जबकि अस्थायी सदस्य दो साल के लिए निर्वाचित होते हैं। भारत ने पिछले साल दिसंबर में इस परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था। केवल स्थायी सदस्य के पास ही किसी भी अहम प्रस्ताव पर वीटो करने की शक्ति है। सिंह ने कहा, ‘‘ यदि दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलती है तो यह संयुक्त राष्ट्र की नैतिक वैधता को कमजोर करेगा। इसलिए अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों को और लोकतांत्रिक और हमारे समय की वर्तमान हकीकतों का द्योतक बनाया जाए।’’ बाद में रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत के पास संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में समृद्ध योगदान की विरासत है। बयान में कहा गया है , ‘‘ समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार कर भारत को उसका स्थायी सदस्य बनाया जाए।’’ संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रूचिरा कंबोज ने अप्रैल में कहा था कि यदि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को संयुक्त राष्ट्र की निर्णय लेने वाली संस्था सुरक्षा परिषद से बाहर रखा जा रहा है तो भारत द्वारा उसमें ‘बड़ा सुधार करने’ की मांग करना बिल्कुल ठीक है।

 

  इस मौके पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख मनोज पांडे, सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न दूतावासों के रक्षा अताशे भी इस मौके पर मौजूद थे। अपने उद्घाटन भाषण में जनरल पांडे ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत के योगदान का उल्लेख किया। (PTI)

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