कर्ज के बोझ तले दबे अमेरिका की आर्थिक हालत खस्ता होती जा रही है। अब अमेरिका अर्थव्यवस्था का जहाज डूबने की आशंका बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के शीर्ष अधिकारी ने ऋण सीमा गतिरोध के कारण वैश्विक 'चिंता' का कारण बनने के लिए अमेरिकी सरकार और राष्ट्रपति जो बाइडन की जमकर आलोचना की। आइएमएफ के अनुसार जो बाइडेन और रिपब्लिकन पार्टी कर्ज के मुद्दे पर एक समझौता करने में विफल रहे, जिसने पूरे विश्व को आर्थिक चिंता की आग में झोंक दिया है।
आइएमएफ चीफ क्रिस्टलिना जार्जीवा ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इंगित करते हुए कहा कि "जिस जहाज पर हम सभी यात्रा करते हैं" वह संभावित अमेरिकी डिफ़ॉल्ट के चलते डूबने के कगार पर है। इसके परिणामों के बारे में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में लगातार सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि "अमेरिकी ट्रेजरी बाजार वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए स्थिरता का लंगर है। "आप लंगर और विश्व अर्थव्यवस्था को खींचते (चलाते) हैं। जिस जहाज (अर्थव्यवस्था रूपी जहाज) पर हम सभी यात्रा करते हैं वह अस्थिर है और इससे भी बदतर अज्ञात जल (संकट) है, जो हमे डुबाने के लिए लहर मार रहा है।"
पूरी दुनिया के लिए अमेरिका ने पैदा किया खतरा
जार्जीवा ने कहा कि अमेरिका का यह डिफ़ॉल्ट सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि यह अनिवार्य रूप से अमेरिका और विश्व अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक संकुचन का कारण होगा। यह खास करके उन अर्थव्यवस्थाओं पर "सदमे पर झटका" है जिन्होंने हाल ही में कोरोनोवायरस जैसी महामारी के बाद से उबरना शुरू किया है और जो अवांछनीय रूस-यूक्रेन के कारण बदहाली झेलने को मजबूर हुए हैं। बता दें कि व्हाइट हाउस और रिपब्लिकन हाउस के स्पीकर केविन मैककार्थी के बीच ऋण सीमा गतिरोध पर बातचीत पिछले एक हफ्ते से चल रही है, दोनों पक्षों ने प्रगति के संकेत दिए हैं, लेकिन अभी तक तथाकथित "एक्स-डेट" से पहले एक समझौते पर नहीं पहुंचे हैं। अब अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने शुक्रवार को उस तारीख को 1 जून के पहले के अनुमान से बढ़ाकर 5 जून कर दिया।
मैककार्थी को यैलेन ने भेजा पत्र
येलेन ने मैककार्थी को भेजे गए एक पत्र में नई तारीख को सार्वजनिक किया, जिसमें उन्होंने उनको याद दिलाया कि "जनवरी से मैंने आपके सामने इस जोखिम को उजागर किया है कि अगर कांग्रेस ने जून की शुरुआत में हमारे सभी दायित्वों को पूरा करने में असमर्थता जताई या उस समय से पहले ऋण सीमा निलंबित कर दिया तो इसका परिणाम सबको भुगतना होगा। वहीं जॉर्जीवा ने कहा, "यह हर किसी के लिए निराशाजनक है कि नीति निर्माताओं के हाथों में हल करने योग्य समस्या 12वें घंटे तक बनी रहती है।"