अमेरिका में राहुल गांधी लगातार भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ अंगारे उगल रहे हैं। वह कहते हैं कि भाजपा देश में नफरत फैला रही है और ऐसी स्थिति में वो मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं। अब अमेरिका में उनके एक कार्यक्रम में जब छात्रों ने राहुल गांधी से उनकी लोकसभा सदस्यता जाने को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने अपना दर्दे हाल कुछ यूं सुनाना शुरू कर दिया...
राहुल गांधी ने कहा है कि जब वह राजनीति में आए थे, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से कभी अयोग्य घोषित किया जाएगा, लेकिन इसने उन्हें लोगों की सेवा करने का एक ‘‘बड़ा अवसर’’ दिया है। राजनीति ऐसी ही होती है। उन्होंने बुधवार रात कैलिफोर्निया में, प्रतिष्ठित स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी परिसर में भारतीय छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। ‘‘मोदी उपनाम’’ को लेकर की गई राहुल की टिप्पणी से जुड़े 2019 के आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत (गुजरात) की एक अदालत द्वारा उन्हें (राहुल को) इस साल की शुरुआत में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल ने कहा कि जब वह 2000 में राजनीति में आए थे, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
पूरा विपक्ष कर रहा संघर्ष
’राहुल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह नाटकीय घटनाक्रम असल में करीब छह महीने पहले शुरू हुआ। हम संघर्ष कर रहे थे। पूरा विपक्ष भारत में संघर्ष कर रहा है। सारा धन कुछ लोगों के पास है। संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है। हम अपने देश में लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’ राहुल ने कहा कि उन्होंने उस समय ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय छात्रों और भारतीय मूल के शिक्षाविदों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘मैं एकदम स्पष्ट हूं कि हमारी लड़ाई हमारी है। हालांकि, यहां भारत के युवा छात्रों का एक समूह है। मैं उनके साथ संबंध जोड़ना चाहता हूं और उनसे बात करना चाहता हूं। ऐसा करना मेरा अधिकार है।
राहुल ने कहा- पीएम यहां क्यों नहीं आते
’’ कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया कि विदेश यात्रा के जरिये वह किसी से कोई समर्थन नहीं मांग रहे हैं। स्टेनफोर्ड में सभागार में राहुल ने कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) यहां क्यों नहीं आते और ऐसा क्यों नहीं करते।’’ इस पर कार्यक्रम संचालक ने कहा कि प्रधानमंत्री का किसी भी समय स्टेनफोर्ड आने और छात्रों तथा शिक्षाविदों के साथ बातचीत करने के लिए स्वागत है। सच्चाई के साथ काम करना ही आगे का रास्ता है।