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Solar Storm: धरती से आज टकराएगा सौर तूफान! रेडियो सिग्नल से लेकर GPS ब्लैकआउट होने तक का डर, आपकी जिंदगी पर इस तरह पड़ सकता है असर

साल 1989 में भी ये घटना हुई थी। तब कनाडा के क्यूबेक शहर को इसने प्रभावित किया था। वहां इसकी वजह से 12 घंटे के लिए बिजली चली गई थी। जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं।

Written By: Shilpa
Updated on: July 19, 2022 16:58 IST
Solar Storm- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Solar Storm

Highlights

  • धरती से आज टकरा सकता है सौर तूफान
  • सौर तूफान से रेडियो सिग्नल हो सकते हैं प्रभावित
  • पहले भी धरती से टकरा चुका है सौर तूफान

Solar Storm to Hit Earth Today: आसमान से एक बड़ी आफत धरती की तरफ बढ़ रही है। आज यानी मंगलवार, 19 जुलाई को एक बड़ा सौर तूफान धरती से टकरा सकता है। जिसके इतना अधिक ताकतवर होने का अनुमान है कि वह रेडियो सिग्नल और जीपीएस को प्रभावित कर सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि तूफान के मंगलवार को धरती से टकराने की आशंका है। अगर ऐसा हुआ तो इससे धरती पर ही कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। सौरमंडल से संबंधित शोधकर्ताओं का कहना है कि तूफान की वजह से रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो जीपीएस तकनीक से चलने वाले उपकरण बंद हो जाएंगे।

अंतरिक्ष के मौसम की जानकारी देने वाली डॉक्टर तमिथा स्कोव ने ट्विटर पर कहा है, 'सीधे टकराएगा! एक सांप जैसे तार की भांती तरंग से सौर तूफान निकला है। नासा ने कहा है कि इसका प्रभाव 19 जुलाई को पड़ सकता है। इससे धरती पर रेडियो और जीपीएस यूजर्स को सिग्नल में व्यावधान की दिक्कत आ सकती है।'  उन्होंने यह भी कहा कि 19 जुलाई को सौर तूफान जी2 या जी3 लेवल का हो सकता है। अंतरिक्ष विशेषज्ञ के अनुसार, 19 जुलाई को सौर चमक से दुनियाभर में संभावित ब्लैकआउट हो सकते हैं, यानी आज। जीनोमिक तूफानों को 1जी द्वारा दर्शाया जाता है, जिसके बाद 1 से 5 तक की संख्या होती है, जिसमें जी1 को कम खतरनाक और 5 को अधिक खतरनाक माना जाता है।

सौर तूफान क्या होता है?

सौर तूफान को जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म और सोलर स्टॉर्म के नाम से भी पुकारा जाता है। यह सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन होता है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह धरती के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। जिसके चलते इसे आपदा भी कहा जाता है। तूफान का असर पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर पड़ता है। हालांकि सौर तूफान पहली बार नहीं आ रहा है। बल्कि इससे पहले भी आ चुका है। 

साल 1989 में ये घटना हुई थी। तब कनाडा के क्यूबेक शहर को इसने प्रभावित किया था। वहां इसकी वजह से 12 घंटे के लिए बिजली चली गई थी। जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। वहीं इससे पहले सौर तूफान साल 1859 में भी आया था। इसकी वजह से उस वक्त अमेरिका और यूरोप में टेलीग्राफ नेटवर्क तबाह हो गया था। सौर तूफान ऊर्जा का वो शक्तिशाली विस्फोट है, जो रेडियो संचार, बिजली के ग्रिड और नेविगेशन सिग्नल्स को प्रभावित कर सकता है और अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है।

जब सामग्री पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है और विकिरण बेल्ट में फंस जाती है, तो यह हमारे ऊपरी वायुमंडल में कणों को छोड़कर तरंगों का कारण बन सकती है। वही 'आवेशित' कण अपने खुद के चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर असर डाल सकते हैं और कंपास रीडिंग को प्रभावित कर सकते हैं। बदलते चुंबकीय क्षेत्र बिजली को 'प्रभावित' कर सकते हैं, जिससे ब्राउन आउट और ब्लैक आउट हो सकता है।

धरती पर इंसानों को नुकसान पहुंचा सकता है सौर तूफान?

सौर तूफान रेडिएशन के शक्तिशाली विस्फोट होते हैं। हालांकि तरंगों से निकलने वाले हानिकारक विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल से जमीन पर मनुष्यों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। हालांकि अगर ये अधिक घातक हुए, तो किसी परत में वातावरण पर असर डाल सकते हैं, जहां जीपीएस और संचार सिग्नल होते हैं।

साल 2021 में कई सारी सौर गतिविधियां देखी गई थीं। क्योंकि सूर्य आग की ज्वाला फेंक रहा था। कई एस्टेरॉइड हमारे ग्रह से टकराए थे। हालांकि किसी से कोई नुकसान नहीं हुआ है। लोगों में सौर तूफान को लेकर डर इसलिए भी रहता है क्योंकि यह मोबाइल फोन के सिग्नल तक को प्रभावित कर सकता है। इससे ब्लैकआउट का खतरा बना रहता है। सौर तूफान अगर जी2 लेवल का हुआ, तो भी खतरनाक ही माना जाता है।

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