Highlights
- धरती से हो सकती है सौर तूफान की टक्कर
- तूफान से रेडियो सिग्नल प्रभावित हो सकते हैं
- पहले भी पृथ्वी से टकरा चुका है सौर तूफान
Solar Storm: आने वाले दिनों में आसमान में हैरान कर देने वाली घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। क्योंकि सूर्य सौर मैक्सिमा तक पहुंच गया है। सौर मैक्सिमा 11 साल के सौर चक्र में सबसे अधिक गतिविधि वाले पीरियड को कहा जाता है। जिसके चलते सूर्य में सबसे अधिक गतिविधियां देखने को मिलती हैं। 14 अगस्त को सूर्य के केंद्र से आग का गोला कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) निकला था, यह सूर्य से निकलने वाला मलबा होता है। इससे पहले कि इसकी धूल जमती, अगले ही दिन सूर्य से एक और आग का गोला यानी सीएमई निकला। इसे विज्ञान की भाषा में सूर्य के कोरोना से सौर हवा में प्लाज्मा और चंबकीय क्षेत्र के रिलीज होने की घटना भी कहते हैं।
अमेरिका के नेशनल ओशनिक एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) द्वारा विकसित मॉडल के अनुसार, शोधकर्ता कैनिबल सीएमई की संभावित घटना की उम्मीद कर रहे हैं। कैनिबल कोरोनल मास इजेक्शन एक ऐसी घटना है, जहां एक सीएमई दूसरे को निगल लेता है, जिसके बाद उससे भी बड़ा सीएमई होता है। आप ऐसा भी कह सकते हैं कि सीएमई ज्यादातर मौकों पर सौर ज्वाला या तरंग और सौर गतिविधि के अन्य रूपों से जुड़े होते हैं। अब यही सीएमई हमारी पृथ्वी से टकरा सकता है और ऐसा 18 अगस्त को होने की आशंका है। सौर तूफान जी1 या जी2 लेवल का हो सकता है।
तूफान की गंभीरता कैसे पता चलती है?
जीनोमिक तूफानों को जी1 द्वारा दर्शाया जाता है, जिसके बाद 1 से 5 तक की संख्या होती है, जिसमें जी1 को कम खतरनाक और 5 को अधिक खतरनाक माना जाता है। अगर जी1 का तूफान आता है, तो यह सैटेलाइट के संचालन को प्रभावित कर सकता है, प्रवासी जानवरों को रोक सकता है, और अन्य हल्के प्रभावों के बीच बिजली ग्रिड में परेशानी पैदा कर सकता है। अगर जी2 स्तर का तूफान आता है, तो यह ट्रांसफॉर्मर को तबाह कर सकता है, अंतरिक्ष यान के संचालन में बाधा उत्पन्न कर सकता है, और रेडियो सिग्नल्स को बाधित कर सकता है। दोनों ही मामलों में सौर तरंगें यानी ऑरोरा के निकलने की संभावना है।
स्पेस वेदर डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, दो सीएमई 18 अगस्त को एक साथ आ रहे हैं, और इनकी गति 600 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक होगी। सोलर और हेलिओस्फेरिक ऑब्जरवेटरी (SOHO) अंतरिक्ष यान की हाल ही में कैप्चर की गई तस्वीरों में सूर्य की सतह से सीएमई यानी विस्फोट होते हुए देखा गया है, जिससे पुष्टि होती है कि यह धरती को प्रभावित कर सकता है। इससे पहले इसी साल मार्च महीने में भी ऐसा ही सीएमई देखा गया था। जिसके कारण एक शक्तिशाली जी3 स्तर का तूफान आया था। एनओएए ने बताया कि विस्फोट एआर 2975 नामक सनस्पॉट से हुआ था, जिससे सौर तरंगें भड़की थीं।
सौर तूफान क्या होता है?
सौर तूफान को जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म और सोलर स्टॉर्म के नाम से भी पुकारा जाता है। यह सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन होता है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह धरती के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। जिसके चलते इसे आपदा भी कहा जाता है। तूफान का असर पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर पड़ता है। हालांकि सौर तूफान पहली बार नहीं आ रहा है। बल्कि इससे पहले भी आ चुका है।
साल 1989 में ये घटना हुई थी। तब कनाडा के क्यूबेक शहर को इसने प्रभावित किया था। वहां इसकी वजह से 12 घंटे के लिए बिजली चली गई थी। जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। वहीं इससे पहले सौर तूफान साल 1859 में भी आया था। इसकी वजह से उस वक्त अमेरिका और यूरोप में टेलीग्राफ नेटवर्क तबाह हो गया था। सौर तूफान ऊर्जा का वो शक्तिशाली विस्फोट है, जो रेडियो संचार, बिजली के ग्रिड और नेविगेशन सिग्नल्स को प्रभावित कर सकता है और अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है।
जब सामग्री पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है और विकिरण बेल्ट में फंस जाती है, तो यह हमारे ऊपरी वायुमंडल में कणों को छोड़कर तरंगों का कारण बन सकती है। वही 'आवेशित' कण अपने खुद के चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर असर डाल सकते हैं और कंपास रीडिंग को प्रभावित कर सकते हैं। बदलते चुंबकीय क्षेत्र बिजली को 'प्रभावित' कर सकते हैं, जिससे ब्राउन आउट और ब्लैक आउट हो सकता है।
धरती पर इंसानों को नुकसान पहुंचा सकता है सौर तूफान?
सौर तूफान रेडिएशन के शक्तिशाली विस्फोट होते हैं। हालांकि तरंगों से निकलने वाले हानिकारक विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल से जमीन पर मनुष्यों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। हालांकि अगर ये अधिक घातक हुए, तो किसी परत में वातावरण पर असर डाल सकते हैं, जहां जीपीएस और संचार सिग्नल होते हैं।
साल 2021 में कई सारी सौर गतिविधियां देखी गई थीं। क्योंकि सूर्य आग की ज्वाला फेंक रहा था। कई एस्टेरॉइड हमारे ग्रह से टकराए थे। हालांकि किसी से कोई नुकसान नहीं हुआ है। लोगों में सौर तूफान को लेकर डर इसलिए भी रहता है क्योंकि यह मोबाइल फोन के सिग्नल तक को प्रभावित कर सकता है। इससे ब्लैकआउट का खतरा बना रहता है। सौर तूफान अगर जी2 लेवल का हुआ, तो भी खतरनाक ही माना जाता है।