Highlights
- पड़ोसियों देशों के साथ चाहते हैं शांतिः पाकिस्तान पीएम
- कई जंग लड़ ली, अब शातिपूर्ण बातचीत से निकालें मुद्दों का हलः शहबाज
- शहबाज ने दुनिया को बताए पाकिस्तान की बाढ़ के हालात
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहली बार संयुक्त् राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। शुक्रवार को उन्होंने अपने संबोधन में पाकिस्तान का वही पुराना रवैया दोहराया और कश्मीर राग अलापा। पाकिस्तान बाढ़ से परेशान है, कंगाल अर्थव्यवस्था है, लेकिन उसे कश्मीर याद आया है। भारत के अभिन्न अंग कश्मीर का जिक्र करते हुए शहबाज शरीफ ने न्यायसंगत और स्थाई समाधान निकालने की बात कही।
पड़ोसियों देशों के साथ चाहते हैं शांतिः पाकिस्तान पीएम
आतंकियों को पनाह देने वाले देश पाकिस्ताना के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हम भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति के हिमायती हैं। हम भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहते हैं। जम्मू कश्मीर मुद्दे पर उन्होंने वही पुराना राग अलापते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हालांकि जम्मू.कश्मीर विवाद के न्यायसंगत और स्थायी समाधान पर निर्भर है। जो पाकिस्तान आतंकवादी भारत में भेजता है। आतंकवाद को पनपाता है, उस पाकिस्तान के पीएम ने कहा कि भारत को रचनात्मक जुड़ाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने चाहिए। हम पड़ोसी हैं और हमेशा के लिए हैं, चुनाव हमारा है कि हम शांति से रहें या एक.दूसरे से लड़ते रहें।
कई जंग लड़ ली, अब शातिपूर्ण बातचीत से निकालें मुद्दों का हलः शहबाज
पाकिस्तान के पीएम शहबाज ने कहा कि 1947 के बाद से हमने 3 युद्ध किए हैं और इसके परिणामस्वरूप दोनों तरफ केवल दुखए गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है। अब यह हम पर निर्भर है कि हम अपने मतभेदोंए अपनी समस्याओं और अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और चर्चा के माध्यम से हल करें।
आतंकी देश ने भारत से की शांतिपूर्ण संवाद की अपील
शहबाज ने कहा कि मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत इस संदेश को समझे कि दोनों देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। युद्ध कोई विकल्प नहीं है, केवल शांतिपूर्ण संवाद ही मुद्दों को हल कर सकता है ताकि आने वाले समय में दुनिया और अधिक शांतिपूर्ण हो जाए।
शहबाज ने दुनिया को बताए पाकिस्तान की बाढ़ के हालात
शहबाज ने पाकिस्तान में हाल ही में आई बाढ़ के बारे में कहा कि 1500 से अधिक लोग जिनमें 400 से अधिक बच्चे शामिल हैं वे बाढ़ में इस दुनिया से चले गए हैं। इससे कहीं अधिक बीमारी और कुपोषण से खतरे में हैं। जैसा कि हम बोलते हैं, लाखों जलवायु प्रवासी अभी भी अपने तंबू लगाने के लिए सूखी जमीन की तलाश कर रहे हैं।