रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका ने रूस की कमर तोड़ने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। खासकर रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने से उसकी आर्थिक रूप से कमर टूट गई और वह युद्ध के लिए अधिक धन अर्जित नहीं कर सका। अमेरिका ने कहा कि रूसी तेल पर प्रतिबंध लगने से उसे सस्ता तेल बेचने पर मजबूर होना पड़ा और इसका सबसे बड़ा फायदा भारत जैसे देशों को हुआ। अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूसी तेल के निर्बाध कारोबार की अनुमति देना उसे हमेशा से ही अस्वीकार्य था और रहेगा। अमेरिका ने कहा कि पश्चिमी देशों की ओर से रूस के पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें तय करने का उद्देश्य मॉस्को को कम दाम पर तेल बेचने के लिए मजबूर करना है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका ने भारत को रूस से आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा कम करने के लिए नहीं कहा है। आर्थिक नीति से जुड़े अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री एरिक वान नोस्ट्रैंड ने अनंता केंद्र में एक परिचर्चा के दौरान यह बात कही। नोस्ट्रैंड ने कहा कि जी-7 समूह देशों की ओर से रूसी तेल की कीमतों को तय करने से जहां यूक्रेन में युद्ध की खातिर रूस को धन जुटा पाना मुश्किल हुआ, वहीं यूरोप और उभरते बाजारों में ऊर्जा की आपूर्ति को स्थिर बनाने में भी मदद मिली।
प्रतिबंध से भारत को लाभ
अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘‘ भारत जैसे उभरते बाजारों को वैश्विक बाजारों की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध रूसी तेल से लाभ हुआ है। ’’ उन्होंने कहा कि रूसी तेल की कीमतें तय करने का उद्देश्य एक ऐसे बाजार विकसित करना रहा है जहां रूस भारी रियायती दर पर निश्चित मात्रा में तेल की आपूर्ति करे तथा उसे मुनाफा भी कम से कम हो। गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर जी-7 समूह और उसके सहयोगी देशों ने मॉस्को पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से दिसंबर 2022 में रूसी तेल की कीमतों को तय किया था। (भाषा)