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S Jaishankar US Visit: विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-यूएई-फ्रांस त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक में लिया हिस्सा

S Jaishankar US Visit: जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, “भारत-यूएई-फ्रांस की एक उत्पादक पहली त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक। रणनीतिक साझेदारों और यूएनएससी सदस्यों के बीच विचारों का सक्रिय आदान-प्रदान।”

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Sep 20, 2022 12:24 IST, Updated : Sep 20, 2022 12:24 IST
India-UAE-France Trilateral Ministerial Meeting
Image Source : TWITTER/@DRSJAISHANKAR India-UAE-France Trilateral Ministerial Meeting

S Jaishankar US Visit: भारत, संयुक्त अरब अमीरात और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर यहां अपनी पहली त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक की तथा रणनीतिक भागीदारों और संरा सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों के बीच विचारों के 'सक्रिय आदान-प्रदान' पर ध्यान देने के साथ ही कूटनीति के एक नए और अधिक समकालीन तरीके पर चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें उच्च स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिये रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर न्यूयॉर्क पहुंचे। यह सत्र आम चर्चा के साथ आज से शुरू होगा। जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, “भारत-यूएई-फ्रांस की एक उत्पादक पहली त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक। रणनीतिक साझेदारों और यूएनएससी सदस्यों के बीच विचारों का सक्रिय आदान-प्रदान।” सोमवार को यूएई की मेजबानी में हुई बैठक में उसके विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल-नाहयान और यूरोप व विदेश मामलों के लिये फ्रांसीसी मंत्री कैथरीन कोलोना ने भी हिस्सा लिया। 

तीनों देश एक दूसरे के रणनीतिक साझेदार

जयशंकर ने अपने व्यस्त कूटनीतिक सप्ताह की शुरुआत उच्च स्तरीय सत्र से इतर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों के साथ की। यह भारत, संयुक्त अरब अमीरात और फ्रांस की पहली मंत्रिस्तरीय ‘त्रिपक्षीय’ बैठक थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तीनों देश अलग-अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार हैं और चर्चा समानताओं के क्षेत्रों पर केंद्रित है और इन समानताओं को कैसे निर्दिष्ट और मजबूत बनाया जाए, इस पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीनों देश एक-दूसरे के साथ बहुत सहज हैं और ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां संभावित रूप से वे अधिक समन्वित तरीके से काम कर सकते हैं। उन्होंने ‘क्वाड’ (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका), आईटूयू2 (भारत, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका) का उदाहरण देते हुए कहा कि एक साझा एजेंडा खोजने के प्रभावी तरीकों के रूप में उभर रहे मंचों के तौर पर भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच त्रिपक्षीय सहयोग है। 

'कूटनीति अब बदल रही है'

इस तरह की बहुपक्षीय बैठकें कूटनीति करने के एक नए और अधिक समकालीन तरीके का संकेत देती हैं। उन्होंने कहा कि आम तौर पर समूह क्षेत्रीय और प्रकृति में करीब (आसपास के) हैं जैसे कि सार्क, बिम्सटेक, आसियान और यूरोपीय संघ। हालांकि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) अपवाद है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कूटनीति अब बदल रही है और ऐसे देश हैं जो किसी क्षेत्र में पड़ोसी या एक-दूसरे के बगल में नहीं हैं, लेकिन जिनके कुछ सामान्य हित हैं और वे एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं। यूएई के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, “हमारी साझेदारी की निरंतर प्रगति की समीक्षा की। वैश्विक स्थिति पर उनके आकलन और अंतर्दृष्टि की सराहना की।” जयशंकर ने मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकी से भी मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट किया, “रक्षा, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में हमारे द्विपक्षीय संबंध मजबूती से बढ़ रहे हैं। हरित हाइड्रोजन और अमोनिया तथा शिक्षा क्षेत्रों जैसी नई पहलों में सहयोग उन्हें और बढ़ावा देगा। 

शिक्षा और व्यापार में सहयोग पर चर्चा

संयुक्त राष्ट्र और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में हमारे घनिष्ठ सहयोग पर चर्चा की। अगले साल जी20 में मिस्र की भागीदारी की अहमियत को रेखांकित किया।” क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज पर्रिला के साथ “विचारों के उपयोगी आदान-प्रदान” के दौरान, जयशंकर ने कहा कि वह “जी -77 और अन्य बहुपक्षीय प्रारूपों में एक साथ काम करने की आशा कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, “चावल की आपूर्ति और विकास परियोजनाओं के बारे में बात की। हवाना में पंचकर्म केंद्र के लिए उनकी सराहना का स्वागत किया।” इथियोपिया के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री डेमेके मेकोनेन हसन के साथ अपनी बैठक में, जयशंकर ने अफ्रीकी देश में नवीनतम घटनाओं पर उनकी कही गई बातों की सराहना की। उन्होंने कहा, “शिक्षा और व्यापार में अधिक सहयोग पर चर्चा की।” अल्बानिया की यूरोप मामलों व विदेश मंत्री ओल्टा जाका के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे करीबी सहयोग की सराहना की। हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। यूक्रेन और ऊर्जा सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान किया।” 

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