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चीन को जयशंकर की खरी-खरी, 'जब तक सीमा पर शांति नहीं तब तक संबंधों को आगे बढ़ाना मुश्किल'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प ने दोनों देशों के संबंधों पर असर डाला है। दोनों ओर के कई सैनिकों की जान गई, तब से एक तरह से रिश्ते में खटास है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: September 25, 2024 14:26 IST
S Jaishankar- India TV Hindi
Image Source : S JAISHANKAR (X) S Jaishankar

न्यूयॉर्क: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर ना केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की तरफ से आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम हैं। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहुध्रुवीय होना होगा और इसलिए यह रिश्ता ना केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा।’’ उन्होंने कहा कि अभी दोनों देशों के बीच रिश्ते ‘बहुत तनावपूर्ण’ हैं। 

क्या बोले एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का चीन के साथ कठिन इतिहास रहा है। चीन पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा आपके पास दो ऐसे देश हैं जो पड़ोसी हैं, इस मायने में अलग हैं कि वो एक अरब से अधिक लोगों वाले दो देश हैं, दोनों वैश्विक क्रम में आगे बढ़ रहे हैं और अक्सर उनकी सीमाएं ओवरलैप होती हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि उनकी सीमा एक समान है। इसलिए यह वास्तव में एक बहुत ही जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति को देखें, तो भारत और चीन का समानांतर उदय एक बहुत ही अनोखी समस्या पेश करता है। 

'2020 के बाद गश्त की व्यवस्था बाधित हुई'

जयशंकर ने हाल में कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी की लगभग 75 प्रतिशत समस्याओं को सुलझा लिया गया है। उनकी इस टिप्पणी का उल्लेख एशिया सोसायटी की बातचीत के दौरान किया गया। उन टिप्पणियों के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं कहता हूं कि इसमें से 75 प्रतिशत समस्याओं को सुलझा लिया गया है तो यह केवल सैनिकों के पीछे हटने के संबंध में है। यह समस्या का एक हिस्सा है। अभी मुख्य मुद्दा गश्त का है। आप जानते हैं कि हम दोनों कैसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त लगाते हैं।’’ जयशंकर ने कहा कि 2020 के बाद गश्त की व्यवस्था बाधित हुई है और इसे हल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "यह बड़ा मुद्दा है क्योंकि हम दोनों सीमा पर बहुत बड़ी संख्या में सैनिकों को ले आए थे। इसलिए हम इसे सैनिकों की वापसी कहते हैं और फिर एक बड़ा, अगला कदम वास्तव में यह है कि आप बाकी के रिश्ते से कैसे निपटते हैं?" 

'हमने जवाब दिया'

विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच संबंधों और सीमा विवाद को लेकर कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच पूरे 3,500 किलोमीटर का सीमा विवाद है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सीमा शांतिपूर्ण हो ताकि रिश्ते में अन्य बातें आगे बढ़ सकें।’’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि सीमा शांतिपूर्ण एवं स्थिर रहे। उन्होंने कहा, ‘‘अब समस्या 2020 में पैदा हुई, हम सभी उस वक्त कोविड के दौर में थे लेकिन इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए चीनियों ने बड़ी संख्या में सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर खड़ा कर दिया और हमने उसी तरह जवाब दिया।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘एक बार जब सैनिकों को बहुत करीब तैनात किया जाता है, जो ‘‘बहुत खतरनाक’’ है तो ऐसी आशंका होती है कि कोई दुर्घटना हो सकती है और ऐसा ही हुआ।’’ 

सीमा पर शांति है जरूरी

जयशंकर ने 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर कहा, ‘‘इसलिए झड़प हुई और दोनों ओर के कई सैनिकों की जान गई, तब से एक तरह से रिश्ते में खटास है। इसलिए जब तक हम सीमा पर शांति बहाल नहीं कर लेते और यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि हस्ताक्षरित समझौतों का पालन किया जाए, तब तक बाकी संबंधों को आगे बढ़ाना स्पष्ट रूप से मुश्किल है।’’ जयशंकर ने कहा कि पिछले चार वर्षों में हमारा ध्यान सबसे पहले सैनिकों को सीमा पर से हटाना है ताकि वो वापस उन सैन्य अड्डों पर चले जाएं, जहां से वो पारंपरिक रूप से काम करते हैं। (भाषा)

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