Highlights
- यूक्रेन पर रूस के हमले की कई सार्वजनिक हस्तियों ने निंदा की है और सरकारी संस्थानों एवं कंपनियों के पद छोड़ दिये हैं।
- सतत विकास पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दूत चुबैस रूस का जाना-पहचाना नाम हैं।
- चुबैस ने सोवियत संघ के बिखरने के बाद रूस के पहले नेता बोरिस येल्तसिन के साथ काम की शुरुआत की थी।
न्यूयॉर्क: रूस सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एनातोली चुबैस के बागी तेवर और फिर उनका इस्तीफा यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से किसी रसूखदार व्यक्ति का सरकारी ओहदा छोड़ने का कोई पहला मामला नहीं होगा, हालांकि यह निश्चित तौर पर सर्वाधिक असामान्य घटनाओं में से एक है। सतत विकास पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दूत चुबैस रूस का जाना-पहचाना नाम हैं। उन्होंने सोवियत संघ के बिखरने के बाद रूस के पहले नेता बोरिस येल्तसिन के साथ काम की शुरुआत की थी और लगभग 3 दशक तक वह उच्च पदों पर कार्य करते रहे।
यूक्रेन पर रूस के हमले की कई सार्वजनिक हस्तियों ने निंदा की है
यूक्रेन पर रूस के हमले की कई सार्वजनिक हस्तियों ने निंदा की है और सरकारी संस्थानों एवं कंपनियों के पद छोड़ दिये हैं। इससे रूस की आधिकारिक श्रेणियों में युद्ध को लेकर मतभेद की आशंका उभर रही है। अभी तक हालांकि इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि इस्तीफों का सिलसिला पुतिन के अधिकारियों-कर्मचारियों के अंदरुनी घेरे तक पहुंचा है या नहीं। यूक्रेन में युद्ध के कारण महत्वपूर्ण पद छोड़ने वाले कुछ हाई-प्रोफाइल नेताओं में एनातोली चुबैस के अलावा पूर्व उपप्रधानमंत्री और अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ के मौजूदा अध्यक्ष आर्केडी द्वोरकोविच भी शामिल हैं।
‘यूक्रेन पर हथियार डालने का दबाव बनाया जा सकता है’
इन नेताओं के अलावा सरकार द्वारा वित्त पोषित चैनल एनटीवी की एंकर लिलिया गिल्दियेवा और एक अन्य सरकारी टेलीविजन चैनल ‘चैनल वन’ के पत्रकार झान्ना अगालाकोवा ने भी अपने पद छोड़े हैं। इस बीच यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि हजारों यूक्रेनी नागरिकों को बलपूर्वक रूस ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें ‘बंधक’ बनाकर यूक्रेन पर हथियार डालने का दबाव बनाया जा सकता है। यूक्रेन की लोकपाल ल्यूडमिला डेनिसोवा ने कहा कि 84 हजार बच्चों समेत कुल 4,02,000 लोगों को उनकी मर्जी के खिलाफ यहां से ले जाया जा चुका है।
यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में रूसी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी तादाद है
रूस ने भी इतने लोगों को ले जाने की बात स्वीकार की है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि वे रूस जाना चाहते थे। यूक्रेन के विद्रोहियों के नियंत्रण वाले पूर्वी क्षेत्रों में रूसी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी तादाद है। और कई लोग रूस के साथ करीबी संबंधों का समर्थन करते हैं। गौरतलब है कि 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य हमले शुरू किए जो अब तक जारी हैं। हमलों की वजह से यूक्रेन में जान माल का भारी नुकसान हुआ है और उसके कई शहर तबाह हो चुके हैं।