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जल्द भारत आएगा 26/11 आतंकी हमले का गुनहगार राणा! अमेरिकी कोर्ट ने खारिज की याचिका

विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया एक 'लंबित मामला' है। इसलिए, इस तथ्य को देखते हुए कि यह लंबित है, मेरे पास देने के लिए कोई विशेष टिप्पणी नहीं है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 18, 2023 12:36 IST
जल्द भारत आएगा 26/11 आतंकी हमले का गुनाहगार राणा! अमेरिकी कोर्ट ने खारिज की याचिका- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV जल्द भारत आएगा 26/11 आतंकी हमले का गुनाहगार राणा! अमेरिकी कोर्ट ने खारिज की याचिका

America News: अमेरिकी अदालत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यक्षीकरण रिट को खारिज कर दिया है। अमेरिकी अदालत के फैसले के कारण राणा के प्रत्यर्पण को हरी झंडी मिल मिल सकती है। राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यवसायी है। भारत में 2008 में हुए 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले में उसकी संपलिप्तता पाई गई है। भारत ने अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया था। अमेरिकी शहर कैलिफॉर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस फिशर ने दो अगस्त को राणा की याचिका खारिज कर दी। 

अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग करता रहता है। हालांकि, विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया एक 'लंबित मामला' है। इसलिए, इस तथ्य को देखते हुए कि यह लंबित है, मेरे पास देने के लिए कोई विशेष टिप्पणी नहीं है। मुझे यकीन है कि न्याय विभाग प्रत्यर्पण मामले में आवश्यक उपाय कर सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया गया है। राणा ने इस आदेश के खिलाफ नौवें सर्किट कोर्ट में अपील दायर की है कि सुनवाई तक उसे भारत को न सौंपा जाए। 

अमेरिका वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध: वेदांत पटेल

वेदांत पटेल ने विदेश विभाग की ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अमेरिका दुनियाभर में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम 2008 के मुंबई हमलों में शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग करते रहे हैं।' विशेष रूप से, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान कहा था कि तहव्वुर राणा 'जल्द ही भारतीय न्यायपालिका का सामना करेगा'।

याचिका में राणा ने दिए थे यह दो तर्क

जिला न्यायाधीश फिशर ने अपने आदेश में कहा कि राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट में सिर्फ दो बुनियादी दलीलें हैं। जज फिशर के अनुसार, राणा का पहला दावा है कि भारत उनके खिलाफ उन्हीं मामलों में कार्रवाई करेगा, जिस मामले में अमेरिका की अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया है। इसलिए उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता। याचिका में राणा ने दूसरा तर्क दिया था कि भारत ने अभी तक यह स्थापित नहीं किया कि राणा ने भारत में अपराध किये हैं, जिस वजह से उनपर मुकदमा चलाये जाने की उम्मीद है।

राणा को फांसी का सता रहा डर

न्यायाधीश फिशर के आदेश को राणा के वकील पैट्रिक ब्लेगेन और जॉन डी क्लाइन ने अमेरिका के नौवें सर्किट कोर्ट में चुनौती दी है। ब्लेगन ने एक अन्य अपील में कहा कि सुनवाई तक उनके प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाए। 14 अगस्त को कोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने कहा कि सुनवाई तक अपील लंबित रखने की रोक उचित है। उसने मजबूत प्रदर्शन किया है। अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया तो अपूर्णीय क्षति होगी। भारत उसे फांसी देना चाहता है, इसलिए सुनवाई तक प्रत्यर्पण को लंबित किया जाए। 

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