प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जून को प्रस्तावित अमेरिका यात्रा के दौरान एक ही तीर से दो निशाने साधेंगे। इस दौरान वह अमेरिका के साथ ही साथ मिस्र की भी यात्रा पर जाएंगे, जहां वह अपने दोस्त और राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से मुलाकात करेंगे। आपको बता दें कि भारत मिस्र के साथ अपने रिश्तों को नई ऊंचाई पर पहुंचा करके चीन के बाजार को ध्वस्त कर रहा है। इससे चीन को जलन होने लगी है। साथ ही साथ पाकिस्तान भी भारत और मिस्र की प्रगाढ़ होती इस दोस्ती से परेशान है। इधर अमेरिका भी भारत की दुनिया में उभरती छवि को देखते हुए अपने रिश्ते को मजूबत करना चाहता है। इसलिए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी को खास राजकीय निमंत्रण पर बुलाया है।
राजनयिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि स्र और भारत द्वारा अपने संबंधों को सामरिक साझेदारी के स्तर तक पहुंचाए जाने के छह महीने बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने मिस्र की यात्रा कर सकते हैं। यह यात्रा अमेरिका के साथ ही होने की संभावना है। मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी अफ्रीकी देश की पहली यात्रा होगी। सूत्रों ने बताया कि इस यात्रा से व्यापार, निवेश, कृषि और रक्षा समेत कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र की यात्रा को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भारत अरब जगत और अफ्रीका में राजनीतिक रूप से अहम भूमिका निभाने वाले मिस्र के साथ संबंधों को विस्तार देने का इच्छुक है।
मिस्र के साथ बढ़ रहा भारत का व्यापार
इस देश को अफ्रीका और यूरोप के बाजार के एक बड़े प्रवेश द्वार के तौर पर भी देखा जाता है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने जनवरी में भारत की यात्रा की थी और इस दौरान दोनों देशों के आपसी संबंधों को सामरिक साझेदारी के स्तर तक पहुंचाया गया था। मोदी और सीसी के बीच वार्ता के दौरान द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा करीब सात अरब डॉलर से आगामी पांच साल में 12 अरब डॉलर तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया था। सीसी (68) को 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। सूत्रों ने बताया कि मोदी की मिस्र की यात्रा अमेरिका की उनकी यात्रा के साथ ही होगी। मिस्र पारंपरिक रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मिस्र में 450 से अधिक भारतीय कंपनी पंजीकृत हैं, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय लगभग 50 कंपनी ऐसी हैं, जिनका संयुक्त निवेश तीन अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
रक्षा क्षेत्र में भी भारत और मिस्र साथ
भारत और मिस्र के बीच रक्षा और सामरिक संबंध भी पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों की सेनाओं ने इस साल जनवरी में पहला संयुक्त अभ्यास किया था। मिस्र भारत से तेजस हल्के लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलीकॉप्टर और अन्य उपकरण खरीदने में पहले ही दिलचस्पी दिखा चुका है। भारतीय वायुसेना ने पिछले साल जुलाई में मिस्र में तीन सुखोई-30 एमकेआई विमान और दो सी-17 परिवहन विमान के साथ एक महीने के सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम में भाग लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर में मिस्र की तीन दिवसीय यात्रा की थी।