अमेरिकी संसद को संबोधित करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी खुलकर बोले। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन युद्ध को मानवता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध पर भारत का पहले भी स्पष्ट मत रहा है कि युद्ध का रास्ता छोड़कर बातचीत और शांति से समाधान खोजना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध में हो रहे खून-खराबे को हमें रोकना होगा। इससे लोग सफर कर रहे हैं। पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में बृहस्पतिवार को कहा कि यह युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का युग है और रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए जो कुछ भी हो सकता है सभी को करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता दोनों देशों की साझेदारी की केंद्रीय चिंताओं में से एक बन गई है और दोनों एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण को साझा करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने और बेहतर संसाधनों और प्रतिनिधित्व के साथ बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार का आह्वान करते हुए कहा कि यह शासन के सभी वैश्विक संस्थानों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर लागू होता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब दुनिया बदल गई है, तो हमारे संस्थानों को भी बदलना चाहिए।
यूक्रेन में रोकना होगा खून-खराबा
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि ...यह युग युद्ध का नहीं है। बातचीत से शांतिपूर्व समाधान निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मैंने यह बात कही तो इसका मतलब ये नहीं कि यह सिर्फ डॉयलॉग है। यह कोई डॉयलॉग नहीं है। यह वास्तविकता है। यूक्रेन युद्ध में जो खून-खराबा हो रहा है, वह पीड़ादायक है। इससे लोग सफर कर रहे हैं। मानवता को पीड़ा हो रही है। इसलिए यूक्रेन में हो रहे इस खून-खराबे को बंद होना चाहिए। यूक्रेन युद्ध से बहुत पीड़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन युद्ध से यूरोप की ओर युद्ध वापस लौटा है। इसलिए अब इस खून-खराबे को रोकना ही होगा। उन्होंने कहा कि भारत शांति पूर्वक और बातचीत से समाधान के लिए हर तरह का रोल निभाने को तैयार है।
भारत शांति से समाधान का पक्षधर
पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध को रोकने लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के नियमों की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि यूएन चार्टर का पालन होना चाहिए। इसमें युद्ध का आपसी बातचीत और शांतिपूर्व समाधान निकाला जाना चाहिए। यूएन चार्टर के अनुसार देशों की संप्रभुता और अखंडता को भी ध्यान में रखकर शांतिपूर्ण समाधान खोजना होगा। भारत हमेशा से बातचीत और शांति के रास्ते समाधान का पक्षधर रहा है। भारत इसके लिए जो भी कर सकता है, उसके लिए तैयार है।