Highlights
- भारत में मंगलवार को सुबह चार से पांच बजे के बीच तड़के होगी टक्कर
- एस्टेराइड से टक्कर के बाद परमाणु बम जैसा होगा भीषण विस्फोट
- धरती को विशाल उल्का पिंडों से चकनाचूर होने से बचाने को वैज्ञानिक कर रहे अभिनव प्रयोग
NASA DART Mission to Save Earth: वैज्ञानिकों के अनुसार अब वाकई धरती खत्म होने वाली है। इसकी वजह दो विशाल उल्का पिंड हैं, जो धरती पर गिरने वाले हैं। इससे धरती पूरी तरह चकनाचूर हो जाएगी। इस धरती पर तब कोई भी सुरक्षित नहीं बचेगा। एस्टेराइड से बने यह विशाल उल्का पिंड धरती को ओर काफी पहले ही चल पड़े हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह जल्द ही धरती पर गिरने वाले हैं। क्योंकि यह बहुत तेजी से धरती की ओर आ रहे हैं। इससे दुनिया भर के वैज्ञानिक गहरी चिंता में हैं। धरती को इन उल्का पिंडों से बचाने के लिए आज अमेरिका की नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) एजेंसी एक अभिनव प्रयोग करने जा रही है। अगर यह प्रयोग विफल रहा तो धरती पर जीवन बच पाना असंभव हो जाएगा। धरती को बचाने वाले इस महाप्रयोग को नासा ने डार्ट मिशन का नाम दिया है।
एस्टेराइड से टकराएगा नासा का अंतरिक्ष यान
तेजी से धरती का विनाश करने के लिए आसमान से नीचे की ओर आ रहे विशाल उल्का पिंडों को नासा ने आसमान में ही राख बना देने के मिशन पर काम शुरू किया है। ताकि इसे धरती पर पहुंचने से पहले ही खत्म किया जा सके। इसके लिए प्रयोग के तौर पर नासा ने एस्टेराइड से टक्कर कराने के लिए अपना एक अंतरिक्ष यान भेज रहा है। यह 24 हजार प्रति किलोमीटर घंटा की स्पीड से स्टेराइड से टकराएगा। अगर एस्टेराइड इस टक्कर से चकनाचूर हो जाता है तो वैज्ञानिकों को उल्का पिंडों से धरती को बचाने का रास्ता मिल जाएगा। अन्यथा इस धरती पर कोई भी जीवित नहीं बचेगा।
भारतीय समयानुसार 26-27 सितंबर को तड़के करीब चार बजे होगी भीषण टक्कर
भारतीय समयानुसार आज यानि 26-27 सितंबर को (मंगलवार) तड़के सुबह चार बजे के करीब नासा का यह अंतरिक्ष यान एस्टेराइड से टकराएगा। इससे यह भी पता चल जाएगा कि पृथ्वी की ओर बढ़ रहे उल्का पिंडों (एस्टेराइड) की क्या दिशा बदलना संभव है अथवा उन्हें अंतरिक्ष में ही चकनाचूर किया जा सकता है। अगर यह प्रयोग सफल होता है तो धरती पर जीवन बचाने के लिए वैज्ञानिकों की यह बहुत बड़ी कामयाबी होगी।
कई रहस्यों से उठेगा पर्दा
एस्टेराइड से टकराने वाले इस विमान का नाम डार्ट रखा गया है। इसका मतलब है डबल स्टेराइड रिडायरेक्शन टेस्ट। नासा ने इसकी लाचिंग नवंबर 2021 में ही कर ली थी। अब यह अंतरिक्ष यान धरती को बचाने के मिशन पर रवाना होने वाला है। टीवी पर इसे तड़के चार बजे देखा जा सकेगा। इस टक्कर के लिए नासा के वैज्ञानिकों ने धरती की ओर आ रहे खतरनाक उल्का पिंड की तरह ही एक अन्य एस्टेराइड की खोज की है, जिसका नाम डिमोरफोस रखा गया है। धरती से एक करोड़ किलोमीटर की दूरी पर यह टक्कर होने जा रही है। यह एस्टेराइड अन्य की तुलना में धरती के काफी करीब है। वैज्ञानिक इस टक्कर के बाद यह समझ सकेंगे कि पृथ्वी की ओर आ रहे दो विशाल उल्का पिंडों से निजात मिलने का रास्ता क्या हो सकता है।
टक्कर से होगा भीषण विस्फोट, धरती तक सुनाई दे सकती है आवाज
इस एस्टेराइड से नासा के अंतरिक्ष यान की टक्कर से भीषण विस्फोट होगा। इससे होने वाली भारी गर्जना धरती तक सुनाई दे सकती है। विस्फोट इतना अधिक शक्तिशाली होगा, जितना हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम के बाद हुआ था। यानि करीब 15000 टीएनटी विस्फोट होने की आशंका व्यक्त की गई है।
टक्कर से मार्ग बदला तो होगी बड़ी सफलता
वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इस टक्कर से जरा भी एस्टेराइड की दिशा बदल गई तो यह बहुत बड़ी सफलता होगी। इसका मतलब है कि धरती की ओर आ रहे विशाल उल्का पिंडों को इसी तरह के अन्य शक्तिशाली यान से दूसरी ओर मोड़ा जा सकेगा। एस्टेराइड की दिशा बदलने वाला यह प्रभाव काइनेटिक प्रभाव कहलाता है। अगर यह सफल रहता है तो स्पष्ट हो जाएगा कि एस्टेराइड से उल्का पिंडों का रास्ता बदला जा सकता है।
धरती को क्यों है खतरा
अंतरिक्ष में मौजूद धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा उल्कापिंड हैं। जो तेजी से धरती की ओर आ रहे हैं। यदि ये यहां गिरे तो धरती को खत्म कर देंगे। अब डार्ट मिशन के तहत नासा का एक अंतरिक्षयान उल्कापिंड से टकराएगा और उसकी दिशा बदलने की कोशिश करेगा। इस टक्कर से, वैज्ञानिक ये पता लगाएंगे कि अंतरिक्ष में टक्कर के बाद उल्कापिंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अंतरिक्षयान इस घटना की तस्वीरें भी लेगा, जिसे लाइव स्ट्रीम के जरिए नासा की वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। एस्टेरॉयड डिडिमोस के साथ घूम रहे चांद के साथ टकराएगा।
इससे पहले स्पेसक्राफ्ट उल्कापिंड की स्टडी करेगा। इसके बाद चांद उल्कापिंड से टकराएगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे उसकी दिशा बदल सकती है। अगर मिशन कामयाब नहीं होता है तो भविष्य में और मिशन भेजे जा सकते हैं। डिडिमोस उल्कापिंड का व्यास 2600 फीट है, जिसके चारों ओर चक्कर लगाता हुआ एक छोटा चंद्रमा जैसा पत्थर है, जिसे डाइमॉरफोस कहा जाता है, अंतरिक्षयान इसी से टकराएगा। इसका व्यास 525 फीट है। यानी नासा इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाएगा। जो बाद में डिडिमोस से टकराएगा। फिर धरती पर मौजूद टेलीस्कोप से इन दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जाएगा।
भविष्य में धरती को बचाया जा सकेगा
वैज्ञानिकों को इस बात की उम्मीद है कि इससे उल्कापिंड की दिशा में बदलाव होगा। अगर ये मिशन सफल नहीं होता है, तो भविष्य में इसी तरह के और मिशन लॉन्च किए जाएंगे। अगर मिशन सफल हो जाता है, तो इससे वैज्ञानिकों को भविष्य में उल्कापिंड की टक्कर से धरती को बचाने में मदद मिलेगी। अंतरिक्षयान 24 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उल्कापिंड की तरफ बढ़ेगा। यह ऐसा पहला मिशन है, जिसका उद्देश्य उल्कापिंड की दिशा में बदलाव करना है, जिसकी सफलता इंसानों को डायनासोर की तरह खत्म होने से बचाएगी। इसमें प्रमुख निशाना डिडिमोस नाम का उल्कापिंड है।
दो दशक पहले की गई थी डिडिमोस की खोज
नासा का टार्गेट धरती के पास की चीजें हैं। जो अंतरिक्ष में हैं और धरती से तुलनात्मक रूप से कम दूरी पर स्थित हैं। नासा का उद्देश्य उन उल्कापिंडों का पता लगाना है, जो धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एस्ट्रोनॉमर्स ने दो दशक पहले डिडिमोस की खोज की थी। डार्ट अंतरिक्षयान की टक्कर की निगरानी लाइट इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग एस्टेरॉइड करेगा। अभी तक नासा ने नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स यानी धरती के पास की 8000 से अधिक चीजों का पता लगाया है।