Highlights
- दोबारा चांद पर मानवों को उतारने की तैयारी में जुटा अमेरिका
- 2025 में मानव अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतारेगा नासा
- 20 जुलाई 1969 को नील आर्म स्ट्रांग ने पहली बार चांद पर रखा था कदम
NASA Moon Mission: नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने चांद पर पार्किंग की जगह खोजी है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि जब चांद पर कोई रहता नहीं तो यहां पार्किंग करने की जरूरत भला किसको पड़ेगी। क्या जमीन पर पार्किंग की जगह कम पड़ गई है और इसलिए वैज्ञानिकों ने चांद पर पार्किंग की जगह तलाशी है। अगर ऐसा है तो चांद पर पार्किंग करना इतना खर्चीला और समय वाला होगा कि यहां पार्किंग करने में पीढ़ियों की पूरी कमाई लुट जाएगी। फिर आप सोच रहे होंगे कि यह सब किसलिए है। तो आइये आपके मन में उठ रहे समस्त सवालों के जवाब समझाते हैं।
दरअसल नासा एक विशेष मून मिशन शुरू करने की तैयारी में है। इसके लिए चांद पर जाने वाले यानों के लिए पार्किंग की जरूरत होती है। यह जगह खोजने के बाद ही यान उड़ान भरता है। उड़ान भरने से पहले ही पार्किंग की जगह तय हो जाती है। ताकि वह अपने लक्ष्य से भटके नहीं और कहीं दुर्घटना ग्रस्त नहीं हो। पार्किंग की जगह ऐसी खोजी जाती है जो पूरी तरह से सुरक्षित हो और मिशन की जरूरतों को पूरा करने वाली हो।
328 फीट के दायरे में उतरेगा चंद्रयान
नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान को 328 फीट के दायरे में सुरक्षित लैंडिंग कराने की जगह खोज ली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा दरअसल एक बार फिर से मानवों को चांद पर भेजने की जोर शोर से तैयारी कर रहा है। नासा के वैज्ञानिक अब पहली बार चांद के उस इलाके में उतरने को तैयार हैं, जहां हमेशा अंधेरा रहता है। अब तक यहां कोई नहीं पहुंच सका है। यह चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है। यहां पर पार्किंग के लिए एक नहीं, बल्कि 13 स्थानों का चयन किया गया है। दक्षिणी ध्रुव का यह हिस्सा पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। यह सभी स्थान दक्षिणी ध्रुव के छह डिग्री अक्षांस पर स्थित हैं। यहां चंद्रयान के लैंडिंग से किसी तरह का खतरा नहीं है।
2025 में उतरेंगे अंतरिक्ष यात्री
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार सुरक्षित पार्किंग का चयन लूनर टोही आर्बिटर (एलआरओ) के डेटा के आधार पर किया गया है। यह यान 2009 में चांद पर भेजा गया था। चांद के दक्षिणी ध्रुव में कुछ ऐसे क्षेत्र पाए गए हैं। जहां हर वक्त अंधेरा ही रहता है। नासा इस बार अपने 2025 के मिशन दल में पहली बार एक महिला अंतरिक्ष यात्री को भी उतारने जा रहा है। इससे पहले नासा अपोलो मिशन के तहत भी चांद पर इंसानों को भेज चुका है। अब दूसरी बार चांद पर इंसानों को भेजने की तैयारी कर चुका है।
चांद पर उतरने वाले पहले मानव
अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग पहली बार 20 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर उतरे थे। तब उनकी उम्र महज 38 वर्ष थी। उनके साथ एक अन्य साथी एडविन एल्ड्रिन भी थे। यह यान 16 जुलाई को धरती से उड़ान भरने के बाद 20 जुलाई को अंतरिक्ष पहुंचा था। इस यान को पहुंचने में चार दिन का समय लगा था। यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चांद पर रहा और फिर सभी यात्रियों को सुरक्षित लेकर वापस धरती पर आ गया। तब से नील आर्म स्ट्रांग का नाम इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। वर्ष 2012 में नील आर्म स्ट्रांग का निधन हो गया।