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कभी महान बॉक्सर मोहम्मद अली ने नदी में फेंका था अपना गोल्ड मेडल, अब गंगा में बहाने की तैयारी में भारतीय पहलवान

देश के पहलवानों के इस ऐलान के बाद दुनिया के महानतम बॉक्सर मोहम्मद अली से जुड़ा वो किस्सा भी याद किया जा रहा है, जब विरोध जताने के लिए उन्होंने अपना ओलंपिक गोल्ड मेडल नदी में फेंक दिया था।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: May 30, 2023 20:33 IST
मोहम्मद अली ने भी फेंका था अपना मेडल- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO मोहम्मद अली ने भी फेंका था अपना मेडल

देश के पहलवानों ने न्याय पाने के लिए दुनिया के महानतम बॉक्सर मोहम्मद अली का रास्ता अपनाया है। पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने अपने जीते हुए मेडल हरिद्वार पहुंचकर गंगा में बहाने का ऐलान किया। हालांकि, अब पहलवानों ने हरिद्वार में केंद्र सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है। दिल्ली के जंतर-मंतर से धरना स्थल को हटाए जाने के बाद पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने की घोषणा की थी।

देश के पहलवानों के इस ऐलान के बाद दुनिया के महानतम बॉक्सर मोहम्मद अली से जुड़ा वो किस्सा भी याद किया जा रहा है, जब विरोध जताने के लिए उन्होंने अपना ओलंपिक गोल्ड मेडल नदी में फेंक दिया था। तब मोहम्मद अली को कैसियस क्ले के नाम से जाना जाता था। उन्होंने नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिए 1960 में ओहियो नदी में अपना ओलंपिक गोल्ड मेडल फेंक दिया था। 

श्वेत लोगों के लिए बनाए गए थे रेस्टोरेंट

मोहम्मद अली ने अपनी बायोग्राफी में बताया है कि उन्हें एक रेस्टोरेंट में घुसने नहीं दिया गया, क्योंकि वह श्वेत लोगों के लिए बना था। इससे नाराज होकर उन्होंने रोम ओलंपिक से लौटने के कुछ समय बाद ही अपना गोल्ड मेडल ओहियो नदी में फेंक दिया। इसी वजह से 1996 के अटलांटा ओलंपिक में मोहम्मद अली को दूसरा मेडल दिया गया।

"रेस्टोरेंट में काले लोग खा नहीं सकते थे" 

उन्होंने अपनी बायोग्राफी में लिखा, "मैं 1960 के रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद लुइसविले वापस आया था। इसके बाद मैं लंच के लिए उस रेस्टोरेंट में गया, जहां काले लोग नहीं खा सकते थे। मैं रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गया और खाना देने के लिए कहा। एक ओलंपिक चैंपियन अपना गोल्ड मेडल पहने वहां खाना मांग रहा था और उसे उन्होंने कहा कि हम यहां निगर (काले रंग के लोगों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द) को सर्विस नहीं देते हैं।" 

"नदी में मेडल फेंक कार में बोलोग्ना सैंडविच खाई"

मोहम्मद अली ने आगे लिखा, "मैंने कहा कि कोई बात नहीं, मैं नहीं खाता। फिर उन्होंने मुझे बाहर कर दिया, इसलिए मैं ओहियो नदी के पास गया और अपना गोल्ड मेडल उसमें फेंक दिया। इसके बाद उस दिन मैंने कार में बोलोग्ना सैंडविच खाई थी।" उन्होंने अपनी बायोग्राफी में ये भी बताया कि 1960 में लुइसविले में नस्लीय अलगाव के खिलाफ मार्च के दौरान किसी ने उन पर गर्म पानी फेंका था। 

 भेदभाव से आहत होकर फेंका था गोल्ड मेडल

अमेरिका में जिम क्रो कानूनों के युग के दौरान नस्लीय अलगाव चरम पर था। मोहम्मद अली ने अपना गोल्ड मेडल नदी में फेंकने का जो ऐतिहासिक कदम उठाया था, वो भेदभाव की पीड़ा से प्रेरित था। इस घटना के 36 साल बाद 1996 में मोहम्मद अली को एक रिप्लेसमेंट गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था। इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी के तत्कालीन अध्यक्ष जुआन एंटोनियो ने यूएस और यूगोस्लाविया के बास्केटबॉल मैच के दौरान अली को इस गोल्ड मेडल से सम्मानित किया था।  

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