11 सितंबर, 1893 में अमेरिका की धरती पर एक घटना घटी थी, जब एक भारतीय साधु ने शिकागो की विश्व धर्म परिषद में विश्व के सामने सनातन धर्म के सत्य को उद्घाटित करते हुए भारतीय विचार धारा की सही पहचान करवाई थी। आज 131 साल के अंतराल के बाद भारत से एक ओर साधु अमरीका में, विश्व संघ के मंच पर से दुनिया के सामने अपने जीवन भर की तपस्या के सार-सूत्र स्वरुप सत्य, प्रेम और करुणा का संदेश लेकर पहुंचे हैं। मोरारी बापू यहाँ से विश्व के सामने सनातन धर्म परंपरा की दिपशीखा को उजागर करेंगे। संयुक्त राष्ट्र ने प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू को पावन कथा श्री रामचरितमानस का पाठ करने के लिए न्यूयॉर्क में आमंत्रित किया है।
UN में रामकथा करेंगे मोरारी बापू
जैसे स्वामी विवेकानंदजी ने अपने प्रवचन के प्रारंभ में ही My dear American brothers and sisters... से सभा को संबोधित करते हुए दुनिया को भारतीय संस्कार की महक से भर दिया था। आज जब मोरारी बापू कथा के प्रारंभ में अपनी प्यार भरी मधुर बानी से - "बाप..... बाप.... मेरे बाप...." कहकर विश्व के श्रोताओं को पुकारेंगे, तब दुनिया श्रद्धा और विश्वास के साथ विश्व शांति की आशा से भर उठेगी। और तब सनातन धर्म की प्रवाही, पवित्र और प्रकाशित परंपरा दैदिप्यमान होती विश्व को दिखाई देगी।
UN में रमाकथा करने को लेकर बोले मोरारी बापू
मोरारी बापू ने एक इंटरव्यू में कहा कि रामचरितमानस धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक वैश्विक संदेश देता है। यह उन सार्वभौमिक मूल्यों की बात करता है जिनकी आज की दुनिया में आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र में रामचरितमानस का पाठ ईश्वरीय कृपा है और वैश्विक सद्भाव की ओर एक कदम है। यह पहली बार है कि न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में राम कथा का आयोजन किया जा रहा है और यह किसी सपने के पूरा होने जैसा अनुभव है।
इन देशों में सुना चुके हैं राम कथा
मोरारी बापू ने श्री लंका, इंडोनेशिया, साऊथ अफ्रीका, केन्या, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल और जापान जैसे देशों में रामचरितमानस का रस घोला है। वे कहते हैं कि हम सभी मनुष्य को इस धरती जिसे हम वसुधैव कुटुंबकम् कहते हैं वहां पर प्यार, शांति, सौहार्द और सच्चाई के साथ अपना जीवन व्यापन करना चाहिए। राम कथा का आयोजन कर हम सभी के लिए परम शांति और कल्याण की प्रार्थना करते हैं।
समकालीन मुद्दों का समाधान
मोरारी बापू कहते हैं कि रामचरितमानस की शिक्षाएं मानसिक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय क्षरण, और सतत विकास जैसे समकालीन मुद्दों के समाधान का मार्ग दिखाने में मदद कर सकती हैं। रामचरितमानस की शिक्षाएं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ बहुत मेल खाती हैं, जो वैश्विक सहयोग और करुणा की आवश्यकता पर बल देती हैं। हमें तनाव और प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटना होगा, और इसमें सत्संग हमारी मदद कर सकता है। यह कार्यक्रम समकालीन वैश्विक चुनौतियों से निपटने और एक सामंजस्यपूर्ण विश्व को बढ़ावा देने में रामचरितमानस की कालातीत प्रासंगिकता को रेखांकित करता है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक राम कथा एक मील का पत्थर साबित होगी, जो आध्यात्मिक शिक्षाओं को शांति और एकता की वैश्विक आकांक्षाओं से जोड़ेगी।
मरती हुई मानवीय संवेदनाएं के बीच प्रेम और करुणा का संदेश
युद्ध ज्वर से पीड़ित धरती आज किसी परम चैतन्य के आगमन की प्रतिक्षा कर रही है। इन्सान की अमर्यादित करतूतों ने सृष्टि के संतुलन को बिगाड़ दिया है। प्रकृति को हमने हताहत कर के पूरे पर्यावरण को कलुषित कर दिया है। बहुत ही अधिक मात्रा में फैल चूके जल वायु प्रदुषण से सजीव सृष्टि के सर्वनाश का मार्ग तैयार हो रहा है। मानवीय संवेदनाएं मानो मर चुकी है। मानव के बीच प्रेम, मैत्री, मुदिता और करुणा मृत प्राय हो गये हैं - ऐसे कठीन काल में अपना सत्य प्रेम और करुणा का संदेश ले कर बापू आये है। साढे सात दशक से मोरारी बापू बिल्कुल सहज रुप से सनातन धर्म परंपरा की ज्योत प्रकटाकर दुनिया भर में घूम रहे है।
नौ दिनों तक चलेगा यह कार्यक्रम
बापू जिसका गान करते है, ये सनातन धर्म वैसा है, जो कभी किसी पर हुकुमत नहीं चलाता, किसी को आहत नहीं करता, किसी पर दबाव नहीं डालता। सनातन धर्म में सब का स्वीकार है। इस में युद्ध की नहीं, बुद्ध की महिमा है। बापू ऐसे सनातन धर्म के प्रतिनिधि है। बापू के पास विचार, बानी और व्यवहार का सत्य है। बापू के ह्रदय में जन, जीव और जगत के प्रति प्रेम भरा है। बापू के नेत्रों में समस्त सृष्टि के लिए करुणा बसी है। किसी भी प्रकार का नीजी लाभ की आकांक्षा या स्वार्थ का भाव बापु के पास नहीं है। केवल और केवल जन कल्याण और जग कल्याण की प्रार्थना का मंगल भाव लेकर बापू विश्व के सभी समाज के सामने स्नेह भरा संवाद करेंगे। नौ दिवसीय इस प्रेम यज्ञ में विश्व की अशांति, वैर और नफरत को मीटा देने का हमारे सामने मौका आया है।
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