वॉशिंगटन: अमेरिका के हवाई प्रांत के अधिकरी बिग आइलैंड पर रहने वाले लोगों को लगातार एक बड़े खतरे से आगाह कर रहे हैं। दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ में हलचल मची हुई है और ऐसा लग रहा है कि यह कभी भी फट सकता है। जहां तक वैज्ञानिकों का सवाल है, तो उनका कहना है कि जरूरी नहीं कि ज्वालामुखी फटे ही, लेकिन पिछले कुछ दिनों में ज्वालामुखी की चोटी पर जितनी जल्दी-जल्दी भूकंप आए हैं, ऐसे में खतरा जरूर बढ़ा है।
‘कुछ ही देर में फैल जाएगा लावा’
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 1984 में आखिरी बार फटा यह ज्वालामुखी अगर फिर से फटता है तो इसके लावे को लोगों को घरों तक पहुंचने में सिर्फ कुछ ही घंटे लगेंगे। हवाई की सिविल डिफेंस एजेंसी लोगों को लगातार बता रही है कि अगर ऐसा कुछ होता है तो सबसे पहले क्या करना होगा। बता दें कि बिग आइलैंड पर करीब 2 लाख लोग रहते हैं जिनमें रोजिन बार और मैथ्यू मैकॉने जैसी मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं। मौना लोआ ज्वालामुखी की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे हवाई के आधे से ज्यादा हिस्से पर यही काबिज है।
14 अक्टूबर को भी आया था भूकंप
मौना लोआ में 14 अक्टूबर को भी 5.0 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ज्वालामुखी ‘बहुत ज्यादा अशांत’ है। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार, ज्वालामुखी में एक के बाद एक कई भूकंप आए और बाद में भी हल्के झटके महसूस किए गए। USGS के मुताबिक, सबसे जबरदस्त 5.1 तीव्रता के भूकंप से 24 सेकंड पहले 4.6 तीव्रता का भूकंप आया। हवाई ज्वालामुखी पर्यवेक्षक ने एक बयान में बताया कि सबसे अधिक तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र पहाला के दक्षिण में एक राजमार्ग के नीचे था।
तब नहीं हुआ था कोई बड़ा नुकसान
हवाई काउंटी मेयर मिच रोथ ने तब बताया था कि उस घटना में किसी बड़े नुकसान या किसी के घायल होने की खबर नहीं थी। हालांकि थोड़ी देर बाद ही उन्होंने कहा था कि पहाला में मामूली नुकसान हुआ है, लेकिन उन्होंने इसके बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी थी। हालांकि इन घटनाओं ने सचेत जरूर कर दिया है और अधिकारी लोगों से एक बैग में खाने-पीने और जरूरी सामान पैक करके तैयार रहने की हिदायत दे रहे हैं। साथ ही ऐसी जगह की पहचान करने को भी कह रहे हैं जहां वे इमरजेंसी की हालत में रह सकें।
4 दशकों में दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ी आबादी
हवाई के बिग आइलैंड पर 1980 में 92 हजार लोग रहा करते थे, और अब यहां की आबादी बढ़कर 2 लाख से भी ज्यादा हो चुकी है। इनमें से तमाम लोग ऐसे हैं जो 38 साल पहले तब पैदा भी नहीं हुए थे जब यह ज्वालामुखी आखिरी बार फटा था। मौना लोआ अपने पड़ोसी किलायूआ ज्वालामुखी से काफी बड़ा है जिसने 2018 में 700 घरों को तबाह कर दिया था। 1950 में भी यह ज्वालामुखी फटा था तब समुद्र में इसके लावे को 24 किलोमीटर की दूरी तय करने में मात्र 3 घंटे लगे थे। ऐसे में अधिकारी अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते।