Wednesday, January 01, 2025
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LAC और अरुणाचल का बदलेगा सीन! पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से "ब्रह्मफांस में फंसने वाला है चीन"

वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता रहा है। जबकि यह भारत का अभिन्न अंग है। अमेरिकी सीनेट अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देने पर विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो चीन के लिए बड़ा झटका।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 21, 2023 16:07 IST, Updated : Jun 21, 2023 16:07 IST
पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइ़डेन व दूसरी तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
Image Source : AP पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइ़डेन व दूसरी तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान ही दुश्मन चीन को बड़ा झटका लगने वाला है। चीन अब ऐसे ब्रह्मफांस में फंसने वाला है, जहां से उसका आसानी से निकल पाना आसान नहीं होगा। इधर एक दिन पहले ही चीन ने पाकिस्तानी आतंकियों का साथ देकर पीएम मोदी के दौरे को विफल बनाने का प्रयास किया था, लेकिन अब भारत उसे एक नए ब्रह्मफांस में फंसाने जा रहा है। इससे चीन के चारों खाने चित्त हो सकते हैं। चीन ने मुंबई आतंकी हमले 2008 के वांछित लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को रोक दिया था। मगर अब चीन को भी अमेरिका बड़ा झटका देने वाला है। दरअसल पीएम मोदी के दौरे के दौरान अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता दिए जाने के प्रस्ताव पर अमेरिकी सीनेट की शक्तिशाली समिति फैसला करने जा रही है। इससे चीन बौखला गया है।

जानकारी के अनुसार अमेरिकी सीनेट की यह समिति बुधवार को द्विदलीय प्रस्ताव पर विचार करेगी, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न हिस्से के रूप में मान्यता देने का प्रावधान किया गया है। यह विधेयक सैन्य आक्रामकता के जरिये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बदलने की चीन की कोशिशों के बीच लाया गया है। विदेशी संबंध मामलों की सीनेट समिति इस प्रस्ताव पर उस दिन चर्चा करेगी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिन की आधिकारिक राजकीय यात्रा पर वाशिंगटन पहुंचेंगे। प्रस्ताव में एलएसी पर यथास्थिति बदलने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करने समेत चीन की ‍विभिन्न उकसावे भरी कार्रवाइयों की निंदा की गई है। इसमें विवादित क्षेत्रों में गांव बसाने, भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के शहरों और संरचनाओं के मंदारिन-भाषी नाम वाले मानचित्र प्रकाशित करने तथा भूटान के क्षेत्रों पर दावा जताने के लिए चीन की आलोचना की गई है।

अब सीमा पर चीनी हरकतें नहीं होंगी बर्दास्त

अगर अमेरिकी सीनेट से इस प्रस्ताव के मान्यता मिल जाती है तो फिर चीन के लिए लद्दाख और अरुणाचल क्षेत्र में नापाक हरकतें करना भारी पड़ेगा। भारतीय सेना चीन को मिट्टी में मिलाने के लिए स्वतंत्र होगी। आपको बता दें कि डेमोक्रेट सीनेटर जेफ मर्कले और रिपब्लिकन नेता बिल हैगर्टी ने इस साल फरवरी में यह प्रस्ताव पेश किया था। ‘इंडिया कॉकस’ के सह-अध्यक्ष सीनेटर जॉन कॉर्निन ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया है। प्रस्ताव में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत ने खुद को चीन की आक्रामकता और सुरक्षा खतरों से बचाने के लिए अपने दूरसंचार बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने और निवेश की गहन निगरानी करने सहित विभिन्न कदम उठाए हैं। इसमें अरुणाचल प्रदेश को सर्वसम्मति से भारतीय गणराज्य के अभिन्न हिस्से के रूप में मान्यता दी गई है।

भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का प्रस्ताव में समर्थन

अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देने वाले प्रस्ताव में देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया गया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जंगनान कहता है। वह इस भारतीय राज्य के दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है। हालांकि, भारत का विदेश मंत्रालय चीन के इस दावे को दृढ़ता से खारिज करते हुए स्पष्ट करता आया है कि अरुणाचल प्रदेश ‘भारत का अभिन्न हिस्सा’ है। अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे के समर्थन में चीन शीर्ष भारतीय नेताओं और अधिकारियों के राज्य के दौरे का नियमित विरोध करता है। मगर अब अमेरिकी सीनेट में यदि भारत के पक्ष में यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे का यह भारत के लिए सबसे बड़ा तोहफा और कामयाबी होगी।

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