Israel Hamas War: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मं भारत ने इजराइल और हमास की जंग पर बड़ा बयान दिया है। भारत का बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि एक ओर इजराइल भारत का दोस्त है, दूसरी ओर गाजा पट्टी में इजराइल के हमले में आम नागरिक भी मर रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत का रुख क्या है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि (डीपीआर) राजदूत आर. रवींद्र ने इजरायल और हमास के बीच युद्ध पर बड़ा बयान दिया है।
इजराइल और फिलिस्तीन को लेकर भारत ने रखा ये पक्ष
यूएन में भारतीय उप स्थाई प्रतिनिधि रवींद्र ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि 'भारत इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन के नुकसान को लेकर काफी चिंतित है।' संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीनी सहित मिडिल ईस्ट की स्थिति पर खुली बहस में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रवींद्र ने यह बयान दिया। उन्होंने इस जंग में इजरायल का खुले तौर पर समर्थन भी किया और फिलिस्तीनियों के प्रति चिंता भी जाहिर की। यूएन में भारत ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए आतंकी हमले के लिए हमास की कड़ी निंदा की।
हर तरह के आतंकवाद की निंदा की जाए: अमेरिका
इससे पहले इजराइल हमास संघर्ष पर यूएनएससी में अमेरिका ने भी अपना पक्ष रखा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आंतकवाद को मदद करने वाले देशों की कड़ी निंदा की। ब्लिंकन ने कहा, 'आतंकवाद के सभी कृत्य गैरकानूनी और अनुचित हैं चाहे वे नैरोबी या बाली में, मुंबई, न्यूयॉर्क या किबुत्ज़ बेरी में लोगों को निशाना बनाते हों। सभी तरह का आतंकवाद गैरकानूनी और अनुचित है, चाहे वे आईएसआईएस द्वारा किए गए हों, बोको हराम द्वारा, लश्कर ए तैयबा द्वारा, या हमास द्वारा किए गए हों। चाहे पीड़ितों को उनकी आस्था, जातीयता, राष्ट्रीयता या किसी अन्य कारण से निशाना बनाया गया हो, वे गैरकानूनी और अनुचित हैं। ब्लिंकन ने कहा कि इस परिषद की जिम्मेदारी है कि हमास या ऐसे भयानक कृत्यों को अंजाम देने वाले किसी भी अन्य आतंकवादी समूह को हथियार, धन और प्रशिक्षण देने वाले सदस्य देशों की निंदा करें।
फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने इजराइल को कोसा
इजराइल-गाजा संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन के विदेश मामलों के मंत्री रियाद अल मलिकी ने कहा, 'आज जब तक प्रतिनिधि अपना भाषण देंगे, तब तक 60 बच्चों समेत 150 फिलिस्तीनी मारे जा चुके होंगे। पिछले दो सप्ताह में 5,700 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 2,300 से अधिक बच्चे और 1,300 महिलाएं शामिल हैं। अधिक अन्याय और अधिक हत्याओं से इजराइल सुरक्षित नहीं बनेगा। कोई भी हथियार, कोई गठबंधन इसकी सुरक्षा में योगदान नहीं देगा।'