Rahul Gandhi in America: राहुल गांधी 6 दिन के अमेरिका दौरे पर गए हुए हैं। इस दौरान कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में 'इंडियन ओवरसीज कांग्रेस यूएसए' के एक प्रोग्राम को संबोधित किया। जब वे स्पीच दे रहे थे, इसी दौरान कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने भारत, कांग्रेस और इंदिरा गांधी के विरोध में नारे लगा दिए। साथ ही खालिस्तान के झंडे भी लहराए। इस पर राहुल गांधी ने 'मोहब्बत की दुकान' कहकर उनकी ओर देखा। बाद में इन खालिस्तानी झंडा दिखाने वाले लोगों को पुलिस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
राहुल ने स्पीच में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 'पीएम मोदी तो भगवान को भी दुनिया चलाना सिखा देंगे, भगवान भी चौंक जाएंगे कि ये मैंने क्या बना दिया।'वे स्पीच दे ही रहे थे कि तभी खालिस्तानी समर्थकों ने नारेबाजी कर दी और खालिस्तान के झंडे लहराए और हंगामा कर दिया। इसके बाद राहुल ने भाषण रोक दिया। बार-बार मोहब्बत की दुकान, मोहब्बत की दुकान... इस तरह कहते रहे।
पीएम मोदी अमेरिका आएंगे तो उनका विरोध करने की भी दी धमकी
खालिस्तानी समर्थकों ने इस प्रोग्राम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। इसके बाद अंदर पहुंचे। इन लोगों ने झंडे छिपाकर रखे थे। जब राहुल गांधी ने स्पीच देना शुरू किया तो उसके कुछ देर बाद ये खालिस्तानी समर्थक नारेबाजी करने लगे। खालिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल के प्रोग्राम में हुए हंगामे की जिम्मेदारी ली है। पन्नू ने सोशल मीडिया पर कहा- 'राहुल गांधी जहां जाएंगे, इसी तरह उनका विरोध होगा।' उन्होंने कहा कि 22 जून को व्हाइट हाउस आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जाएगा।
राहुल को 2 घंटे तक एयरपोर्ट पर करना पड़ा इंतजार
इससे पहले राहुल मंगलवार शाम अमेरिका पहुंचे। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने उनकी अगवानी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल को इमिग्रेशन क्लियरेंस के लिए 2 घंटे तक एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा। बाद में वे बोले कि अब वे सांसद नहीं बल्कि आम व्यक्ति हैं।
राहुल गांधी ने स्पीच में कही ये बात
राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'उन्हें लगता है कि वे भगवान से भी अधिक जानते हैं।' राहुल गांधी ने इस कार्यक्रम में कहा कि ये लोग ‘पूरी तरह से इस बात को लेकर आश्वस्त’ हैं कि वे सब कुछ जानते हैं। ये लोग इतिहासकारों को इतिहास, वैज्ञानिकों को विज्ञान और सेना को युद्ध कैसे लड़ना है, यह बता सकते हैं। मुद्दे की बात यह है कि वे सुनने को तैयार नहीं हैं।’ उन्होंने कहा, ‘दुनिया इतनी बड़ी तथा जटिल है कि कोई भी व्यक्ति सब कुछ नहीं जान सकता। यह एक बीमारी है।'