Joe Biden In UNGA: इन दिनों अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 78वीं UNGA यानी यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली का सत्र चल रहा है। मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने UNGA के सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में बाइडेन ने चीन के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण संंबंधों पर बड़ा बयान दे डाला। बता दें कि सस UNGA की बैठक में दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष नहीं आए हैं। इनमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक जैसे राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं।
UNGA के सत्र को संबोधित करते हुए जो बाइडेन ने अपने संबोधन में चीन के साथ संबंध बहाली की बात कही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ संघर्ष नहीं चाहता है। उनका प्रशासन बीजिंग के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों को 'जिम्मेदारी से प्रबंधित' करना चाहता है। अपने संबोधन में बाइडेन ने कहा कि उनका प्रशासन कई मुद्दों पर चीन के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। इन संबंधों की प्रगति सामान्य कोशिशों पर निर्भर करती है।
चीन से संबंध तोड़ने के पक्ष में नहीं : अमेरिका
बाइडन ने महासभा में अपने संबोधन में आगे कहा कि चीन की जब बात आती है तो मैं स्पष्ट और सुसंगत रहना चाहता हूं। हम अपने देशों के बीच कॉम्पीटिशन को जिम्मेदारी से प्रबंधित करना चाहते हैं, जिससे कि यह संघर्ष में न बदल जाए। कहने का मतलब यह है कि हम चीन के साथ जोखिम को कम करना चाहते हैं, चीन से संबंध तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।
चीन और अमेरिकी शासन प्रशासन के बीच मुलाकातों का दौर
बाइडन की ये टिप्पणियां तब आई हैं जब अमेरिकी अधिकारी चीन का दौरा और चीनी मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। साथ ही बाइडन प्रशासन ने संघर्ष से बचने के लिए बीजिंग के साथ संचार के नियमित चैनल को बनाए रखा है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस बीच, चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर न्यूयॉर्क में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। ब्लिंकन ने एक्स पर पोस्ट करके इस मुलाकात रचनात्मक बताया। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने भी मंगलवार को उपराष्ट्रपति झेंग से मुलाकात की। गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में अमेरिकी हवाई क्षेत्र में चीनी जासूसी गुब्बारे और यूक्रेन के खिलाफ रूस के समर्थन और व्यापार विवादों को लेकर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव बढ़ गया था।