वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को फोन पर एक दूसरे से बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने अमेरिका-चीन के आपसी रिश्ते में बढ़ते तनाव को रोकने पर जोर दिया। दोनों नेताओं के बीच ताइवान, आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा हुई। कैलिफोर्निया में नवंबर में हुए शिखर सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं की यह पहली बातचीत थी। दोनों नेताओं के बीच सेनाओं के संबंधों और चीन से घातक फेंटानिल के प्रवाह को रोकने के लिए सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। फेंटानिल एक ‘सिंथेटिक’ दर्दनिवारक औषधि है जिसका इस्तेमाल नशे के लिए भी किया जाता है। दोनों नेताओं के बीच इस वार्ता को अगले कुछ हफ्तों में होने वाले उच्च-स्तरीय संपर्क की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है। वित्त मंत्री जेनेट येलेन बृहस्पतिवार को चीन की यात्रा करने वाली हैं। वहीं विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन आने वाले हफ्तों में चीन की यात्रा करेंगे।
ताइवान पर हुई चर्चा
जो बाइडन और शी जिनपिंग के बीच ताइवान पर भी चर्चा हुई। उनकी यह बातचीत ताइवान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के अगले महीने पद संभालने से पहले हुई है। बाइडन ने अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही “एक चीन” नीति की पुष्टि करते हुए दोहराया कि अमेरिका ताइवान को बीजिंग के नियंत्रण में लाने के लिए जबर्दस्ती करने के किसी भी साधन का विरोध करता है।
चीन करता है अमेरिका का विरोध
चीन ताइवान को एक घरेलू मामला मानता है और उसने इस द्वीप के लिए अमेरिकी समर्थन का कड़ा विरोध किया है। बाइडन ने दक्षिण चीन सागर में चीन के अभियान पर भी चिंता जताई। अगले हफ्ते, बाइडन व्हाइट हाउस में फिलीपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की एक संयुक्त शिखर सम्मेलन के लिए मेजबानी करेंगे। इस शिखर सम्मेलन के एजेंडा में ‘क्षेत्र में चीन के प्रभाव’ को सबसे ऊपर रखा गया है।
बाइडन ने उठाया अमेरिकी नागरिकों की परेशानी का मुद्दा
शी के साथ बातचीत में बाइडन ने चीन पर अवैध मादक पदार्थों के प्रवाह को रोकने और उनके निर्यात को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के वास्ते अधिक प्रयास करने का दबाव डाला। उन्होंने चीन में मानवाधिकारों को लेकर भी चिंता जताई, जिसमें हांगकांग के नए प्रतिबंधात्मक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और अल्पसंख्यक समूहों के साथ व्यवहार शामिल है। उन्होंने चीन में हिरासत में लिए गए या बाहर निकलने से रोके गए अमेरिकी नागरिकों की परेशानी का मुद्दा भी उठाया। एपी
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