Jaishankar: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत वर्ष 2047 तक यानी आजादी के 100वें वर्ष तक खुद को एक विकसित देश के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपने सबसे सुदूर गांव को डिजिटल बनाने और चांद पर उतरने के सपने देखता है। वह एक विशेष "इंडिया@75' भारत-संर की सक्रिय भागीदारी का प्रदर्शन" विषयक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। जयशंकर ने कहा, ‘‘18वीं शताब्दी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पूरे विश्व की जीडीपी का करीब एक चौथायी यानी लगभग 25 प्रतिशत हुआ करता था, लेकिन 20वीं सदी के मध्य तक उपनिवेशवाद के कारण हम विश्व के सबसे गरीब देशों में शुमार हो गये। वह हमारी सरकार ही थी कि हम संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य देश बने।’’
'तर्कशील लोकतंत्र के रूप में उभर रहा भारत'
जयशंकर ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत आप के सामने गर्व के साथ और दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत सबसे मजबूत, उत्साही और सर्वाधिक तर्कशील लोकतंत्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में डिजिटल तकनीक के माध्यम से भारत ने अपने खाद्य-सुरक्षा जाल को 80 करोड़ भारतीयों तक सफलतापूर्वक पहुंचाया है और 300 अरब अमरीकी डालर से अधिक का लाभ डिजिटल रूप से वितरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 40 करोड़ लोगों को नियमित रूप से खाद्य पदार्थ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने दो अरब लोगों को कोरोना वायरस का टीका लगाया और इसका रहस्य निश्चित रूप से डिजिटल है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने फिलहाल 51 देशों में 66 विकास परियोजनाओं का विस्तार किया है।
'भारत का विकास बाकी दुनिया से जुड़ा हुआ'
जयशंकर ने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में अफगानिस्तान, म्यांमा, श्रीलंका, यमन और कई अन्य देशों को अनुदान देने समेत खाद्यान्न की आपूर्ति करके अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विश्वास है कि भारत का विकास बाकी दुनिया से जुड़ा हुआ है, जिसे अलग नहीं किया जा सकता।’’ इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष साबा कोरोसी, संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टेनर सहित संयुक्त राष्ट्र के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि विकास सार्वजनिक हित है और ‘ओपन सोर्सिंग’ आगे बढ़ने की सबसे अच्छी राह है।