Monday, November 25, 2024
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India's Foreign Policy:विदेश नीति में 11 दिनों में ही जयशंकर ने लगाया शतक, दुनिया में बजा भारत का डंका

India's Foreign Policy: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिर्फ 11 दिनों में विदेश मंत्रियों और अपने समकक्षों से मुलाकात करने में शतक लगा दिया है। यानि इस यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 100 देशों के समकक्षों से मुलाकात की है। साथ ही द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकों में भाग लिया।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 14, 2022 23:39 IST
S Jaishankar- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV S Jaishankar

Highlights

  • अंतरराष्ट्रीय मंच पर सभी देशों के सामने जयशंकर की खरी-खरी
  • यूक्रेन से लेकर आतंकवाद के मुद्दे पर खुलकर बोले विदेश मंत्री
  • सभी देशों में ही रही भारत की स्पष्टवादिता की तारीफ

India's Foreign Policy: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिर्फ 11 दिनों में विदेश मंत्रियों और अपने समकक्षों से मुलाकात करने में शतक लगा दिया है। यानि इस यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 100 देशों के समकक्षों से मुलाकात की है। साथ ही द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकों में भाग लिया। उन्होंने ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरते भारत का पूरी दुनिया के सामने हर पक्ष मजबूती से रखा। भारत के विदेश मंत्री की चौतरफा स्पष्ट वादिता और संतुलित भाषण के लिए तारीफ हो रही है। उन्होंने कई देशों के समकक्षी प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की तस्वीरें भी अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर किया था।

अपनी इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मौजूदा ध्रुवीकृत दुनिया में भारत वास्तव में महत्व रखता है और उसे बड़े पैमाने पर दक्षिण (गोलार्ध) की आवाज के रूप में जाना जाता है। यानि बहुत से देश भारत को अपनी आवाज मानते हैं। भारत से वह बहुत सारी उम्मीदें रखते हैं। भारत ने यह छवि अपनी उदारवादिता और स्वतंत्र विदेश नीति के चलते बनाई है। पीएम मोदी का मजबूत नेतृत्व इस स्वतंत्र विदेश नीति का आधार स्तंभ है।

हर मुद्दे पर खुलकर रखा भारत का पक्ष

एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यूक्रेन से लेकर आतंकवाद और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंडरा रहे खतरे के साथ खाद्यान्न और ऊर्जा संकटों पर खुलकर भारत का पक्ष रखा। उन्होंने रूस से लेकर अमेरिका, पाकिस्तान और चीन को खरी-खरी सुनाई। हर मुद्दे पर जयशंकर ने खुलकर जिस अंदाज में भारत का डंका बजाया, उसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। इतने कम समय में उन्होंने 100 देशों के विदेश मंत्रियों व समकक्षों से मुलाकात करके भी नई इबारत लिखी। इससे समझा जा सकता है कि विदेश मंत्री पीएम मोदी की तर्ज पर अधिक ऊर्जावान होकर भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

दुनिया की हर अवस्था में भारत महत्वपूर्ण सेतु

 जयशंकर ने 11 दिवसीय अमेरिकी यात्रा के तहत एक हफ्ते के व्यस्त कार्यक्रम वाले पहले चरण का समापन शनिवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में दिए संबोधन के साथ किया। इस अवधि में उन्होंने करीब 100 देशों के समकक्षों से मुलाकात की और कई द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया। जयशंकर ने भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘इसमें दो राय नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा दुनिया की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है, जो खासतौर पर इस समय ध्रुवीकृत है। वास्तव में दुनिया जिस अवस्था में है, उसमें भारत महत्व रखता है। हम एक सेतु हैं, हम एक आवाज हैं, हम एक दृष्टिकोण, एक जरिया हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था और खाद्यान्न व ऊर्जा का भारी संकट
विदेश मंत्री ने अपनी अमेरिका की यात्रा के दूसरे चरण के तहत रविवार को वाशिंगटन रवाना होंगे। जयशंकर ने कहा कि जब सामान्य कूटनीति सही तरीके से काम नहीं कर रही है, तब भारत के कई देशों के साथ संबंध हैं, उसमें विभिन्न देशों और क्षेत्रों के साथ संवाद करने और अहम मुद्दों को उठाने की योग्यता है। उन्होंने कहा कि आज भारत को वैश्विक स्तर पर ‘व्यापक रूप से’ दक्षिण की आवाज माना जाता है। जयशंकर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में है और खाद्यान्न व ईंधन की बढ़ती कीमतें चिंता पैदा कर रही हैं, उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर भी चिंता है, कर्ज के बढ़ते बोझ ने भी कई देशों में गहरी चिंताएं पैदा की हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी हाताशा है कि इन मुद्दों को सुना नहीं जा रहा है। उन्हें आवाज नहीं दी जा रही है।

भारत बन रहा वैश्विक आवाज
वैश्विक परिषदों में होने वाली चर्चाओं में प्रमुख मुद्दों को प्रमुखता से नहीं उठाया जा रहा है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि अगर कोई समस्त देशों से जुड़ी इन भावनाओं के बारे में बोल रहा है और उनकी आवाज बन रहा है तो वह भारत है, नयी दिल्ली ही है, जो कई विकासशील देशों के लिए बात कर रहा है। जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं इस सप्ताह का समापन इस भाव से कर रहा हूं कि ध्रुवीकृत दुनिया में भारत वास्तव में महत्व रखता है और यह बहुत कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की वजह से है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि कई लोगों ने उनसे पिछले साल ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ‘सीओपी-26’ में और हाल की क्षेत्रीय बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर बात की थी। जयशंकर ने रेखांकित किया कि यह परिदृश्य और नेतृत्व, दोनों ही हैं, जिसने भारत के अहम होने की भावना को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है।

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