इजरायल-हमास के बीच युद्ध विनाशकारी हो चुका है। नन्हें-मुन्ने बच्चों से लेकर, किशोर, युवा, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग सभी इजरायली बमबारी में मारे जा चुके हैं। गाजा अब श्मशान भूमि में तब्दील हो चुका है। मलबे के ढेर और लाशों का चारों तरफ अंबार दिख रहा है। बहुत सी लाशों और दबे इंसानों को उठाने वाला भी कोई नहीं है। सैकड़ों लोग रोजाना हवाई हमले में मारे जा रहे हैं। जो बच रहे हैं वह भी अपंगता की पराकाष्ठा से गुजर रहे हैं। किसी के पैर हमले में कट गए तो किसे के हाथ, किसी की आंख फूट गई तो किसी की गर्दन। गाजा में त्रासदी की तस्वीरें विचलित करने वाली हैं। इस बीच अमेरिका ने इजरायल हमास युद्ध में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक प्रस्ताव पर वीटो किया है। आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?
दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक प्रस्ताव में इजरायल पर हमास के हमलों, नागरिकों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने और गाजा में फलस्तीनियों को मानवीय मदद पहुंचाने का आग्रह किया था। पंद्रह सदस्य सुरक्षा परिषद के 12 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में जबकि अमेरिका ने विरोध में मतदान किया, जबकि दो सदस्य अनुपस्थित रहे। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने मतदान के बाद कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन मध्य पूर्व पहुंचकर राजनयिक वार्ता कर रहे हैं “और हमें उस कूटनीति की आवश्यकता है।
इजरायल के आत्मरक्षा पर कुछ नहीं कहे जाने पर अमेरिका ने लगाया वीटो
अमेरिकी दूत ने प्रस्ताव में इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार के बारे में कुछ नहीं कहे जाने पर भी आपत्ति जताई। ब्राजील द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर वीटो होने से पहले परिषद के सदस्यों ने इसमें रूस के दो संशोधनों को खारिज कर दिया। इन दो संशोधनों में मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान करना और गाजा में नागरिकों एवं अस्पतालों और स्कूलों पर अंधाधुंध हमलों की निंदा करना शामिल था। मगर अमेरिका ने इजरायल के आत्मरक्षा की बात नहीं किए जाने से प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। इससे इस्लामिक देशों में अमेरिका के प्रति भारी आक्रोश पनपने की आशंका बढ़ गई है। साथ ही युद्ध में कई अन्य देशों के कूदने का खतरा भी अब बहुत अधिक बढ़ गया है। (एपी)
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