Highlights
- आईएएस विक्रांत की तारीफ कर रहा अमेरिका
- हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा करने वाला बताया
- यहां चीन का कई देशों से हो रहा है गंभीर विवाद
INS VIKRANT: अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने बुधवार को अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह को विमानवाही पोत आईएनएस विक्रांत के सेवा में शामिल होने को लेकर बधाई दी। ऑस्टिन ने आईएनएस विक्रांत के सेवा में शामिल होने से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उल्लेखित किया। पेंटागन ने कहा कि ऑस्टिन और सिंह ने टेलीफोन पर बातचीत की और दोनों देशों की सेनाओं के बीच सूचना-साझा करने और रसद सहयोग का विस्तार करने की प्रतिबद्धता जतायी। साथ ही दोनों नेताओं ने अंतरिक्ष, साइबर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य नए रक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए एक संवाद शुरू करने पर सहमति जताई।
पेंटागन प्रेस सचिव वायु सेना ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने इस वार्ता के बारे में बताया कि दोनों देशों के इन नेताओं के बीच यह वार्ता ऐसे समय हुई है जब पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ अंतर-सत्रीय बैठक और समुद्री सुरक्षा वार्ता हुई थी। दोनों नेताओं ने पूर्वी एशिया, हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे सहित कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में हाल के घटनाक्रम पर चर्चा की। अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने सिंह को आईएनएस विक्रांत के सेवा में शामिल होने पर बधाई दी।
अमेरिका ने सुरक्षा प्रदाता बताया
उन्होंने आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल करने के कदम के हिंद-प्रशांत में सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका के लिए महत्व को उल्लेखित किया। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक कदमों के बीच ऑस्टिन की यह टिप्पणी महत्व रखती है, जहां उसके कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद हैं। ऐसे में भारत की भूमिका इस क्षेत्र में अमेरिका सहित तमाम देशों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है। चूंकी चीन और अमेरिका की दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में चीन के खिलाफ उठने वाले किसी भी कदम को अमेरिका अपने फायदे के तौर पर देखता है। भारत ने गत दो सितंबर को अपना पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल किया था। युद्धपोत को सेवा में शामिल होने से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसे पोत विकसित करने की घरेलू क्षमता है।
राइडर ने कहा, ‘उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल के आलोक में, दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने अमेरिका और भारतीय सेनाओं साथ मिलकर काम करने और समन्वय करते हुए सूचना-साझा करने और रसद सहयोग का विस्तार करने को लेकर प्रतिबद्धता जतायी।’ ऑस्टिन ने अगस्त में यूएसएनएस चार्ल्स ड्रू की चेन्नई की ऐतिहासिक यात्रा के बाद भारत में अमेरिकी नौसेना के जहाजों की अतिरिक्त मध्य-यात्रा मरम्मत के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया।
कई मुद्दों पर सहयोग करने को सहमत
राइडर ने कहा, ‘दोनों नेता इस साल के अंत में अंतरिक्ष, साइबर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य नये रक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए एक संवाद शुरू करने पर सहमत हुए। मंत्रियों ऑस्टिन और सिंह ने भारत के उद्योग के मामले में प्रमुख देश और क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में उदय का समर्थन करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी और औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।’ दोनों नेताओं ने समन्वित मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों सहित क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को बनाए रखने के लिए क्वाड साझेदारी के माध्यम से सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया।
राइडर के अनुसार, दोनों नेताओं ने ऐसे समय अगले साल की शुरुआत में भारत में 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक से पहले महत्वाकांक्षी पहल को लेकर प्रतिबद्धता जताई, जब अमेरिका और भारत अपने सहयोग को और की गहरा करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘दोनों नेताओं ने टेलीफोन वार्ता एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने साझा दृष्टिकोण के लिए अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी के महत्व की पुष्टि करके समाप्त की।’ फोन कॉल के बाद रक्षा मंत्री सिंह ने ट्वीट किया, ‘पाकिस्तान के एफ-16 विमानों के बेड़े के लिए पैकेज प्रदान करने के अमेरिका के हालिया फैसले पर भारत की ओर से चिंता प्रकट की।’
रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग पर हुई चर्चा
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से टेलीफोन पर अच्छी और लाभप्रद बातचीत हुई। हमने रणनीतिक हितों और विस्तृत रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग के बढ़ते तालमेल पर चर्चा की।’ उन्होंने कहा, ‘हमने तकनीकी और औद्योगिक साझेदारी बढ़ाने के तरीकों एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग की संभावना पर भी चर्चा की।’ सिंह ने कहा कि वह भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने के लिहाज से अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन के साथ बातचीत जारी रखने के लिए आशान्वित हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू बेड़े के लिए हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और पुर्जों के लिए विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के तहत 45 करोड़ अमरीकी डालर प्रदान करने की योजना बनाई है।