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पूजा खेडकर के नक्शे कदम पर चला था ये भारतीय छात्र, अमेरिकी विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेज से ले लिया दाखिला; मगर अब...

फर्जी दस्तावेजों से आईएएस बनने वाली पूजा खेडकर का किस्सा तो अभी आप के जेहन में ताजा होगा। एक ऐसा ही और मामला सामने आया है, जिसमें एक भारतीय छात्र ने उसी नक्शेकदम पर चलते हुए अमेरिका के विश्वविद्यालय में नौकरी हासिल कर ली। मगर अपनी एक गलती की वजह से पकड़ा गया।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 04, 2024 11:55 IST
अमेरिकी विश्वविद्यालय।- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिकी विश्वविद्यालय।

न्यूयॉर्कः फर्जी दस्तावेजों के दम पर आईएएस की नौकरी हासिल करने वाली पूजा खेडकर का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक और ऐसा ही मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। इस बार पूजा खेडकर के नक्शेकदम पर चलते हुए एक भारतीय छात्र ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे अमेरिका में एक विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया था। मगर अब उसका फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। लिहाजा भारतीय छात्र को उल्टे पांव अब भारत लौटना होगा। 

बता दें कि छात्र ने एडमिशन पाने के लिए कागजात में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भारतीय छात्र को अमेरिकी अधिकारियों के साथ हुए एक समझौते के तहत स्वदेश भेजा जाएगा। आर्यन आनंद (19) ने शिक्षण सत्र 2023-2024 में पेंसिल्वेनिया के लेहाए विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा कराए थे। लेहाए विश्वविद्यालय के छात्रों की ओर से प्रकाशित समाचार पत्र ‘द ब्राउन एंड व्हाइट’ की पिछले महीने की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस जांच में पाया गया है कि आनंद ने प्रवेश और वित्तीय सहायता संबंधी दस्तावेजों में हेरफेर की है। खबर में कहा गया था कि उसने दाखिला और छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए ‘‘अपने पिता की मौत का झूठा दावा भी किया था।’’

25 हजार अमेरिकी डॉलर पर मिली जमानत

आनंद पर मजिस्टेरियल डिस्ट्रिक्ट जज जॉर्डन निस्ले की अदालत में मुकदमा चलाया गया, जिसकी जमानत राशि 25 हजार अमेरिकी डॉलर थी। उसे जालसाजी के आरोप में दोषी ठहराया गया। वेबसाइट ‘लेहाएवैलीलाइव डॉट कॉम’ ने बचाव पक्ष के वकील मौली हेइडोर्न के हवाले से बताया कि याचिका समझौते के तहत आनंद को एक से तीन महीने की सजा सुनाई गई, ‘जो उसके द्वारा जेल में बिताई गई अवधि’ के समान है। इस समझौते के तहत आनंद को भारत लौटना होगा। लेहाए विश्वविद्यालय ने छात्र से 85,000 अमेरिकी डॉलर की क्षतिपूर्ति की मांग नहीं की। उसे रिहा करके अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया।

ऐसे पकड़ा गया छात्र

छात्र की ओर से प्रवेश के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किए जाने का पूरा मामला तब सामने आया, जब उसने सोशल मीडिया मंच ‘रेडिट’ पर एक पोस्ट साझा किया, जिसका शीर्षक था ‘‘मैंने झूठ की बुनियाद पर अपना जीवन और करियर बनाया।’’ हालांकि, उस पोस्ट में उसने अपनी पहचान उजागर नहीं की थी, लेकिन हेरफेर के तरीके की विस्तृत जानकारी दी थी। बाद में आनंद ने उस पोस्ट को हटा दिया था, लेकिन पुलिस की जांच में पता चला कि यह पोस्ट आनंद ने ही किया था। (भाषा)

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