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अमेरिका में आकाशीय बिजली गिरने से लगभग "ब्रेन डेड" हुई भारतीय छात्रा, 1 हफ्ते बाद फिर काम करने लगा दिमाग

इसे चमत्कार ही कहा जाएगा कि भारतीय छात्रा का दिमाग काम करना बंद करने के एक हफ्ते बाद फिर से चलने लगा। वह 1 हफ्ते तक कोमा में रही। हालांकि इसका हृदय काम कर रहा था। डॉक्टरों ने 1 हफ्ते तक इलाज चलाया और इंतजार किया। लगभग ब्रेन डेड हो चुकी छात्रा का दिमाग फिर से काम करने लगा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jul 28, 2023 10:42 IST, Updated : Jul 28, 2023 10:42 IST
अमेरिका में आकाशीय बिजली का एक दृश्य।
Image Source : AP NEWS अमेरिका में आकाशीय बिजली का एक दृश्य।

अमेरिका के ह्यूस्टन में आकाशीय बिजली गिरने से भारतीय छात्रा कोमा में चली गई और उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। एक तरह से ब्रेन डेड हो गया। मगर हृदय के काम करने की वजह से डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रख दिया और इलाज करते रहे। करीब 1 हफ्ते इंतजार के बाद छात्रा को होश आ गया। वह फिर से जीवित हो उठी। हालांकि अभी वह अस्पताल में ही है और डॉक्टरों ने उसके होश में आने पर खुशी के साथ आश्चर्य भी जाहिर किया है। डॉक्टरों के अनुसार अब छात्रा के ठीक होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

ह्यूस्टन में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलसी भारतीय मूल की छात्रा की हालत में सुधार हो रहा है। चिकित्सकों ने यह जानकारी दी। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी की पढ़ाई कर रही छात्रा ससरून्या कोडुरू दो जुलाई को अपने मित्रों के साथ सैन जासिंटो स्मारक उद्यान में टहल रही थी, तभी अचानक बिजली गिरी और छात्रा उसकी चपेट में आ गई। उसकी हालत बेहद खराब हो गई थी और वह जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रही थी। अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वह पिछले सप्ताह से अपने आप सांस ले पा रही है और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया है।

पूरी तरह अब हट सकता है वेंटिलेटर

छात्रा का इलाज कर रहे चिकित्सकों ने कहा कि वह वेंटिलेटर के बिना ठीक है और अगर इसी तरह उसकी तबीयत में सुधार होता रहा तो उसे आगे भी वेंटिलेटर की जरूरत नहीं रहेगी। कोडुरू का परिवार फिलहाल हैदराबाद में है। छात्रा के परिवार के अन्य लोगों ने पीटीआई को बताया कि परिवार को अमेरिका आने के लिए वीजा मिल गया है और वे अगले सप्ताह यहां आ जाएंगे। कोडुरु सांस नहीं ले पा रही थी इसलिए उसे ‘ट्रेकियोस्टोमी’ के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था साथ ही उसे भोजन भी नली के जरिए दिया जा रहा था। उसके मस्तिष्क ने भी काम करना बंद कर दिया था और चिकित्सक इस बात का इंतजार कर रहे थे कि मस्तिष्क काम करना प्रारंभ कर दे। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय ने मामले में कोई अद्यतन जानकारी साझा नहीं की है।  (भाषा)

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