वाशिंगटनः भारतीय अमेरिकी सांसदों ने ‘‘भारत में मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों को’’ उठाते रहने की बात दोहराई, लेकिन साथ ही कहा कि इस मामले में नई दिल्ली को आप उपदेश नहीं दे सकते। क्योंकि इससे काम नहीं चलने वाला। इस बाबत भारतीय नेतृत्व के साथ वार्ता की जरूरत है। भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने बृहस्पतिवार को डेमोक्रेटिक थिंक-टैंक ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ के ‘देसी डिसाइड्स’ सम्मेलन में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों से कहा, ‘‘भारत 100 से अधिक वर्षों तक उपनिवेश रहा, इसलिए जब हम मानवाधिकारों के बारे में बातचीत करते हैं, जब आप (विदेश मंत्री एस) जयशंकर या किसी अन्य के साथ बातचीत करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि यह केवल भारत को उपदेश देने की तरह लगता है। इसलिए आप समस्याओं पर बात करें और मिलकर उसका समाधान खोजने पर बात करें।
उनका कहना है कि औपनिवेशिक ताकतें सैकड़ों वर्षों से हमें उपदेश दे रही हैं। ऐसा करना (उपदेश देना) उपयोगी नहीं होगा।’’ खन्ना ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि (भारत के साथ) यह बातचीत करना अधिक रचनात्मक नजरिया होगा कि यहां हमारे लोकतंत्र में क्या खामियां हैं, आपके लोकतंत्र में क्या खामियां हैं और हम सामूहिक रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।’’ ‘कांग्रेशनल इंडिया कॉकस’ के सह अध्यक्ष रो खन्ना के साथ इस संवाद में भारतीय अमेरिकी सांसद थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ.एमी बेरा भी शामिल हुए।
अपने देश की खामियों पर भी डालें नजर
प्रमिला जयपाल ने कहा कि हमें अपने देश की खामियों और किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए। यह संसद का असल काम है। हमें उपदेश नहीं देना चाहिए, मैं रो (खन्ना) से सहमत हूं। हमें अमेरिका के सभी हितों के बारे में सोचना होगा। निश्चित रूप से आर्थिक पहलू अहम है। भारत हमारा एक महत्वपूर्ण भागीदार है। क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर बदलते परिदृश्य के कारण भी वह एक महत्वपूर्ण भागीदार है।’’ थानेदार ने कहा कि वह भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अमेरिका और भारत के बीच मजबूत रिश्तों की जरूरत है।’’ (भाषा)