UNGA: संयुक्त राष्ट्र में एक ऐसा प्रस्ताव आया है, जिस पर भारत ने इजराइल के विरोध में अपना वोट दिया है। भारत के अलावा 91 देशों ने भी इजराइल के विरोध में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया है। यह प्रस्ताव मिस्र ने इजराइल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था। जिस पर वोटिंग में 91 देशों ने मिस्र के प्रस्ताव का समर्थन किया और 8 देशों ने मिस्र के प्रस्ताव के विरोध में इजराइल के समर्थन में वोट किया। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।
जानिए मिस्र यूएन में क्या प्रस्ताव लेकर आया?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिस्र यानी इजिप्ट ने इजराइल को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सीरिया के गोलन हाइट्स से इजरायल अपना कब्जा हटा ले। इस प्रस्ताव का 91 देशों ने समर्थन किया है, इन देशों में भारत भी शामिल है। मिस्र के यूएन में लाए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में 91 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 8 देशों ने अपना मत दिया। इस दौरान 62 देश वोटिंग के समय नदारद रहे।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की प्रस्तावना को मद्देनजर रखते हुए इजराइल को चाहिए कि वो सीरियाई गोलन हाइट्स पर अपना कब्जा छोड़ दे। इजराइल ने गोलन हाइट्स पर 1967 में कब्जा किया था।
किन देशों ने इजराइल के विरोध वाले प्रस्ताव का किया समर्थन?
इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, लेबनान, ईरान, इराक और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, पलाउ, माइक्रोनेशिया, इजरायल, कनाडा और मार्शल आइलैंड ने मिस्र के इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया।
62 देशों ने वोटिंग से बनाई दूरी
यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम, जापान, केन्या, पोलैंड, ऑस्ट्रिया और स्पेन जैसे 62 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली। इस प्रस्ताव पर वोटिंग 28 नवंबर को हुई थी।
जानिए कहां है गोलन हाइट्स?
गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में एक क्षेत्र है, जिस पर इजराइल ने बहुत पहले यानी 1962 में कब्जा कर लिया था। इस दौरान 6 दिनों तक सीरिया से इजराइल का युद्ध हुआ था, इसके बाद इजराइल ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। दरअसल, गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी इलाका है। सीरिया ने 1973 में मध्यपूर्व युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स पर दोबारा कब्जे की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका।1981 में इजरायल ने गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा कर दी थी, पर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गई।