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UNHRC में चीन का अप्रत्यक्ष समर्थन कर अपने ही देश में घिरा भारत, जानें विपक्ष की प्रतिक्रिया

India at UNHRC:अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में चीन के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर चीन का अप्रत्यक्ष समर्थन कर मोदी सरकार अपने ही देश में विपक्ष के निशाने पर आ गई है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: October 07, 2022 18:18 IST
Opposition Parties of India - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Opposition Parties of India

Highlights

  • कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने उठाया मोदी सरकार पर सवाल
  • चीनी घुसपैठ पर संसद में चर्चा न करने और यूएनएचआरसी में सच न बोलने का आरोप
  • ममता और ओवैसी ने भी सरकार पर बोला हमला

India at UNHRC:अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में चीन के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर चीन का अप्रत्यक्ष समर्थन कर मोदी सरकार अपने ही देश में विपक्ष के निशाने पर आ गई है।  चीन के अशांत क्षेत्र शिंजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएनएचआरसी में एक चर्चा कराने से जुड़े मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भारत के अनुपस्थित रहने को लेकर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को सरकार की आलोचना की।

विपक्षी दलों ने कहा कि जो सच है, उस बारे में भारत को बोलना चाहिए और अपने पड़ोसी देश से डरना नहीं चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने हैरानी जताते हुए कहा कि ‘‘चीन पर काफी झिझक’’ वाला रुख है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत सरकार चीनी घुसपैठ पर संसद में चर्चा कराने के लिए सहमत नहीं होगी। शिंजियांग में मानवाधिकारों पर चर्चा के लिए एक प्रस्ताव पर यूएनएचआरसी में भारत अनुपस्थित रहेगा।’’ तिवारी ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्रालय ताइवान का दौरा करने के लिए सांसदों को मंजूरी नहीं दे रहा है।

ममता के निशाने पर भी मोदी सरकार

चीन का अप्रत्यक्ष समर्थन करने के मामले में मोदी सरकार ममता बनर्जी के भी निशाने पर रही। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘उन्हें (चीन को) अपनी जमीन दे देना और उन्हें जिम्मेदार ठहराने से दूर रहना। यह असल में क्या है जो (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी चीन से इतने भयभीत हैं? इसकी सच्चाई सरकार को बतानी चाहिए।

ओवैसी ने भी सरकार को घेरा
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ‘‘उइगर मुद्दे पर यूएनएचआरसी में चीन की मदद करने ’’संबंधी भारत के फैसले का कारण प्रधानमंत्री मोदी से जानना चाहा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘क्या (चीन के राष्ट्रपति) शी चिनफिंग को नाराज करने से वह इतना डरते हैं कि भारत सच बात नहीं बोल सकता है? वहीं शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लाल आँख से लेकर बंद आँख तक का सफ़र।’’ उल्लेखनीय है कि भारत ने शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए बृहस्पतिवार को यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। मानवाधिकार संगठन चीन के संसाधन संपन्न उत्तर-पश्चिमी प्रांत में (मानवाधिकार हनन की) घटनाओं को लेकर वर्षों से आवाज उठा रहे हैं।

उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार हनन को लेकर था प्रस्ताव

अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूएनएचआरसी में चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे जुर्म को लेकर इस प्रस्ताव को सामने रखा था। इस पर 47 देशों की ओर से मतदान किया जाना था। इसमें भारत भी शामिल था। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को यह उम्मीद थी कि भारत इस प्रस्ताव पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ खड़ा होगा, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। अपनी स्वतंत्र कूटनीति को अपनाते हुए भारत ने इस मामले पर वोटिंग से परहेज किया। एक तरीके से भारत ने ऐसा करके चीन की राह आसान कर दी। ऐसे में महज दो मतों से चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया। इसे अमेरिका की कोशिश को बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे भारत और अमेरिका के रिश्ते पर आंशिक प्रभाव पड़ने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है।

चीन के विरोध में 17 और पक्ष में पड़े 19 वोट
मानावधिकार उल्लंघन मामले में चीन के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव पर परिषद के सदस्य कुल 47 देशों को मतदान करना था। इनमें से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत 17 ने चीन के खिलाफ वोट किया। जबकि पाकिस्तान, यूएई, इंडोनेशिया, कतर, उजबेकिस्तान, सूडान और सेनेगल समेत 19 देशों ने चीन के पक्ष में मतदान किया। यानि अमेरिका और पश्चिमी देशों के इस प्रस्ताव का विरोध किया। वहीं भारत और यूक्रेन समेत 11 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इससे अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश हैरत में हैं। भारत के साथ ही साथ यूक्रेन ने भी चीन के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं करके सबको चौंका दिया है। अमेरिका ने यह प्रस्ताव ब्रिटेन और कनाडा की मदद से पेश किया था। मगर भारत और यूक्रेन के साथ नहीं देने पर चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया।

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