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Tobacco Control Policy में भारत का डंका, WHO ने की जमकर तारीफ

विश्व के शोधकर्ताओं ने चबाने वाले तंबाकू यानि धूम्ररहित तंबाकू पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और फ्रेम वर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल की पॉलिसी पर एक शोध किया है। इस दौरान पाया गया कि भारत समेत 57 देशों ने टोबैको कंट्रोल पॉलिसी को सख्ती से लागू किया है।

Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: May 31, 2023 13:44 IST
तंबाकू की खेती (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP तंबाकू की खेती (फाइल)

Tobacco Control Policy: तंबाकू नियंत्रण नीतियों को लागू करने के मामले में भारत का दुनिया में डंका बज रहा है। शोधकर्ताओं ने धूम्ररहित तंबाकू (चबाने वाले तंबाकू) के उपयोग और तंबाकू नियंत्रण नीतियों के वैश्विक प्रभाव का आकलन करने वाली पहली व्यवस्थित समीक्षा की है। इसे युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी सूचना प्रसार द्वारा लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित भी किया गया है, जो नई दिल्ली में स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI), और यॉर्क विश्वविद्यालय, यूके, ASTRA (एड्रेसिंग स्मोकलेस टोबैको एंड बिल्डिंग रिसर्च कैपेसिटी इन साउथ एशिया) कंसोर्टियम के सहयोग से है।

दुनिया के 57 देशों ने लागू की तंबाकू नियंत्रण नीति

एक व्यापक व्यवस्थित समीक्षा के माध्यम से शोधकर्ताओं ने 1 जनवरी, 2005 से 20 सितंबर, 2021 तक फैले 11 इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस और ग्रे साहित्य की सावधानी से जांच की। निष्कर्षों से पता चला कि भारत समेत 57 देशों ने विशेष रूप से धुआं रहित तम्बाकू को लक्षित करने वाली नीतियों को लागू किया है, जिनमें से 17 देशों की नीतियां तम्बाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) के दायरे से परे हैं। समीक्षा दर्शाती है कि WHO FCTC पर आधारित नीतिगत पहलों ने धुंआ रहित तंबाकू के प्रसार में कराधान के लिए 4.4% से 30.3% तक और बहुआयामी नीतियों के लिए 22.2% से 70.9% तक की कमी की है। इसके अलावा, WHO FCTC के अनुच्छेद 11 जिसमें तंबाकू उत्पादों पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी का प्रावधान है और अनुच्छेद 13 जिसमें तंबाकू के विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन प्रतिबंध का जिक्र है, का कार्यान्वयन व्यापक पाया गया।

भारत ने उठाया सख्त कदम

वरिष्ठ लेखक डॉ. मानसी चोपड़ा के अनुसार “हमने कई देशों को WHO FCTC के अनुच्छेद 13 (तंबाकू विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन प्रतिबंध) के कार्यान्वयन की रिपोर्ट करते हुए देखा है। भारत में, धूम्रपान रहित तंबाकू के नियमों सहित तम्बाकू-मुक्त फिल्म और टेलीविजन नियमों का कार्यान्वयन है। ये नियम स्वास्थ्य चेतावनियों को प्रदर्शित करना अनिवार्य बनाते हैं और तंबाकू उत्पादों के प्रदर्शन का औचित्य प्रदान करते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये नियम ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर दिखाई या स्ट्रीम की जाने वाली फिल्मों/श्रृंखलाओं पर लागू नहीं होते हैं। जबकि भारत में ओटीटी प्लेटफार्मों पर प्रदर्शित सामग्री की एक बड़ी संख्या के साथ, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को लक्षित, वेब-आधारित ओटीटी प्लेटफार्मों पर स्ट्रीम की गई सभी सामग्री पर तंबाकू मुक्त फिल्म और टीवी नियमों को लागू किया जाना चाहिए।

इन देशों ने सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के इस्तामाल पर लगाया प्रतिबंध
इस समीक्षा के जरिये डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी उपायों के अलाव विभिन्न देशों द्वारा लागू किए गए कई गैर-एफसीटीसी उपायों की पहचान की गई। पाया गया कि भूटान, सिंगापुर और श्रीलंका जैसे देशों ने ऐसे उत्पादों की खेती, निर्माण, वितरण और बिक्री सहित धूम्ररहित तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, ब्राजील, भारत, ईरान, तंजानिया, थाईलैंड, न्यूजीलैंड और यूके द्वारा धूम्ररहित तम्बाकू के विशिष्ट रूपों पर आंशिक आयात और बिक्री प्रतिबंध की सूचना दी गई है। इसके अलावा, गुआम, भारत, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका में सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के उपयोग पर प्रतिबंध लागू किया गया है।

भारत का प्रयास सराहनीय
डब्ल्यूएचओ के अनुसार विशेष रूप से भारत ने धूम्ररहित तंबाकू उत्पादों के उपयोग से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है। ये उपाय WHO FCTC के साथ संरेखित हैं या WHO FCTC उपायों से परे हैं और इसमें कराधान, सामग्री का विनियमन, लेबलिंग और पैकेजिंग, शिक्षा अभियान, समाप्ति सेवाएं, नाबालिगों को और उनके द्वारा बिक्री पर प्रतिबंध और तंबाकू उत्पादों जैसे गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंध तक शामिल हैं। पैकेजिंग पर हानिकारक अवयवों के अनिवार्य चित्रण, सचित्र स्वास्थ्य चेतावनियों और धुंआ रहित तंबाकू के खिलाफ जन मीडिया अभियानों सहित भारत के प्रयास अनुकरणीय हैं। इसके अतिरिक्त भारत ने विज्ञापनों पर प्रतिबंध, पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक पाउच के उपयोग पर प्रतिबंध और सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने, जागरूकता बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को धुएं रहित तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाने जैसी नीतियों को लागू किया है। विशेष रूप से, भारत में महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, तेलंगाना, नागालैंड और असम सहित कुछ राज्यों ने कोविड-19 के मद्देनजर धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पादों के उपयोग और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च, नोएडा के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ लेखक डॉ. रवि मेहरोत्रा ​​ने बताया कि "दुर्भाग्य से धुआं रहित तंबाकू (चबाने वाले तंबाकू) को टोबैको नियंत्रण गतिविधियों में धूम्रपान (स्मोकिंग) के समान प्रमुखता नहीं मिलती है। जबकि दुनिया भर में 300 मिलियन लोग इसका (चबाने वाले तंबाकू का) उपयोग करते हैं। इसलिए चबाने वाले तंबाकू पर अत्यधिक टैक्स लगाने और मौजूदा कानूनों के बेहतर कार्यान्वयन किया जाना जरूरी है।

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