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संयुक्त राष्ट्र में ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर गरजा भारत, कहा-"वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से करना होगा मुक्त"

रूस-यूक्रेन युद्ध, कोरोना महामारी, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हालात के अलावा दुनिया के अन्य देशों के बीच तनाव, ईरान-इराक तनाव, चीन-ताईवान तनाव व इजरायल-फिलीपींस तनाव, आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध इत्यादि के चलते वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला टूट चुकी है। इससे दुनिया भर में बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 04, 2023 21:24 IST, Updated : Aug 04, 2023 21:24 IST
संयुक्त राष्ट्र (प्रतीकात्मक फोटो)
Image Source : AP संयुक्त राष्ट्र (प्रतीकात्मक फोटो)

युद्ध और महामारी के चलते दुनिया खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक की समस्याओं से जूझ रही है। इससे बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है। कई देश मानवीय मदद पहुंचाने में अपने देश के रास्ते का इस्तेमाल तक नहीं करने देते, जिससे वैश्विक संकट का समाधान करना मुश्किल हो गया है। ग्लोबल साउथ इस वक्त आपूर्ति श्रृंखला टूटने की वजह से खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक का भारी संकट झेल रहा है। ऐसे में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में ग्लोबल साउथ की आवाज बनते हुए वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से मुक्त करने का आह्वान किया। ताकि लोगों को मानवीय मदद पहुंचाने में देरी न हो। भारत की इस गर्जना से ग्लोबल साउथ के सभी देश भी खुश हैं।

संयुक्त राष्ट्र में खाद्यान्न वितरण में समानता, सामर्थ्य और पहुंच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत ने कहा कि खुले बाजारों को असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देने का आधार नहीं बनना चाहिए। विश्व निकाय में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘अकाल और संघर्ष से उत्पन्न वैश्विक खाद्य असुरक्षा’ पर खुली बहस के दौरान यह टिप्पणी की। कंबोज ने अपने संबोधन में काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में भारत के सहयोग की फिर से पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता जिस चीज के प्रति प्रतिबद्ध है वह ‘‘हमारे प्रधानमंत्री के शब्दों में है-उर्वरक, चिकित्सीय उत्पादों और खाद्य पदार्थों की वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से मुक्त करना। ताकि भूराजनीतिक तनाव की परिणति मानवीय संकट के रूप में न हो।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा की स्थिति भयावह

’’ कंबोज ने कहा, ‘‘वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति भयावह है और पिछले चार वर्षों में भोजन की भारी कमी का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। दुनिया में जारी सशस्त्र संघर्ष, भोजन, उर्वरक और ऊर्जा संकट ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा की हैं-खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए।’’ संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, 62 देशों में 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है, जो एक रिकॉर्ड संख्या है। कंबोज ने कहा, ‘‘जब खाद्यान्न की बात आती है तो समानता, किफायती कीमत और पहुंच के महत्व को पर्याप्त रूप से समझना हम सभी के लिए आवश्यक है। हमने पहले ही देखा है कि कैसे कोविड-19 रोधी टीकों के मामले में इन सिद्धांतों की अवहेलना की गई थी। खुले बाजारों को असमानता को कायम रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने का आधार नहीं बनना चाहिए।’’ (भाषा)

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