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भारत ने कनाडा समेत UN पर किया ऐतिहासिक हमला, जयशंकर ने कहा- "अब वे दिन बीत गए..."

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर राजनीतिक सहूलियत अपनाने के लिए यूएन समेत कनाडा पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा नहीं चलने वाला है। जयशंकर ने कहा कि वे दिन बीत गए, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: September 27, 2023 13:12 IST
एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री।- India TV Hindi
Image Source : AP एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा समेत संयुक्त राष्ट्र पर ऐतिहासिक हमला बोला है। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े सभी देशों को नसीहत देते हुए भारत ने मंगलवार को कहा कि दूसरे देशों के लिए एजेंडा तय करने वाले देश आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में ‘राजनीतिक सहूलियत’ को प्राथमिकता दे रहे हैं। मगर अब ऐसा नहीं चलने वाला है। एस जयशंकर ने यह बयान खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को कनाडा के साथ चल रहे कूटनीतिक गतिरोध के बीच दिया है। यह एक तरीके से कनाडा और संयुक्त राष्ट्र पर परोक्ष प्रहार है।

(यूएनजीए) के 78वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को नए भारत की ताकत के एहसास कराते हुए कहा- "वे दिन बीत गए, जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें। " विदेश मंत्री ने कहा आज के युग में अब सिर्फ कुछ देशों के एजेंडे से दुनिया नहीं चलने वाली है। अब समय बदल चुका है।

आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर नहीं चलेगी राजनीतिक सहूलियत

भारत के विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कनाडा और संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा तय करने वाले देशों का नाम लिए बगैर स्पष्ट संदेश देते कहा कि आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर राजनीतिक सहूलियत के हिसाब वाला नजरिया अब नहीं चलने वाला है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में गैर-हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती। एस जयशंकर का इशारा परोक्ष रूप से अमेरिका की तरफ था, जिसने सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कथित रूप से कनाडा को खुफिया सूचना उपलब्ध कराई थी। साथ ही भारत को इस मामले में जांच में सहयोग करने की नसीहत देता आ रहा है। जयशंकर ने कनाडा को भी यह स्पष्ट संदेश दिया कि उसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाले आतंकियों, चरमपंथ और हिंसा को अपनी राजनीतिक सहूलियत के लिए बढ़ावा दे रहा है और उसे सहन कर रहा है।

अनिश्चितकाल तक नहीं चलने वाला है नियम निर्धारकों का एजेंडा

दूसरे देशों के लिए नियम-कानून तय करने वाले देशों को स्पष्ट और सख्त संदेश देते हुए जयशंकर ने कहा कि ‘‘हमारी चर्चाओं में, हम अक्सर नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं। समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात भी उठाई जाती है। लेकिन इन सभी चर्चाओं के लिए, अब भी कुछ देश हैं, जो एजेंडा तय करते हैं और नियमों को परिभाषित करते हैं। यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता। ऐसा भी नहीं है कि इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। यानि संयुक्त राष्ट्र को एक तरह से भारत ने चेतावनी के दे डाली है कि अब उन्होंने राजनीतिक सहूलियत के हिसाब से एजेंडा थोपा तो वह नहीं चलने वाला है और उसे चुनौती भी दी जाएगी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक बार हम सभी अपना दिमाग इस पर लगाएं, तो निश्चित ही निष्पक्ष, समान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था उभरकर सामने आएगी।

अग्रणी बनने की भारत की अकांक्षा आत्म-अभ्युदय के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक जिम्मेदारी लेने की

दुनिया की तेजी से उभरती ताकत के तौर पर विश्व के मानस पटल पर अपनी दमदार उपस्थिति का एहसास कराने वाले भारत के अग्रणी बनने की अकांक्षा का दुनिया को मकसद समझाते हुए ’’ जयशंकर ने कहा जब हम अग्रणी ताकत बनने की आकांक्षा लेकर बढ़ते हैं, तो यह आत्म-अभ्युदय नहीं, बल्कि अधिक जिम्मेदारी लेना एवं योगदान करना होता है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया असाधारण उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। ऐसे वक्त में भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली, यही असाधारण जिम्मेदारी का भाव है। जयशंकर ने कहा कि 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है। , ‘‘जब हम सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करते हैं, तब भारत विविध साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। गुटनिरपेक्ष के दौर से आगे बढ़कर हमने विश्वमित्र की अवधारणा विकसित की है।

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