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सिर्फ 5 देशों को वीटो पॉवर दिए जाने और उसके राजनीतिक दुरुपयोग पर भड़का भारत, UNSC में सबको सुनाई खरी-खरी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सिर्फ 5 देशों को वीटो पॉवर दिए जाने और उसके राजनीतिक दुुरुपयोग को लेकर भारत आग बबूला हो गया है। भारत ने कहा है कि यूएनएसी में वीटो का इस्तेमाल नैतिक दायित्वों के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारों के आधार पर किया जाता है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: April 27, 2023 17:00 IST
यूएनएससी (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : PTI यूएनएससी (फाइल)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सिर्फ 5 देशों को वीटो पॉवर दिए जाने और उसके राजनीतिक दुुरुपयोग को लेकर भारत आग बबूला हो गया है। भारत ने कहा है कि यूएनएसी में वीटो का इस्तेमाल नैतिक दायित्वों के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारों के आधार पर किया जाता है और वीटो इस्तेमाल करने का अधिकार केवल पांच स्थायी सदस्यों को दिया जाना देशों की संप्रभु समानता की अवधारणा के विपरीत है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थानीय मिशन में सलाहकार प्रतीक माथुर ने 193 सदस्यीय महासभा द्वारा ‘वीटो पहल’ को पारित किए जाने के एक साल बाद बुधवार को ‘वीटो के इस्तेमाल’ पर आयोजित महासभा की बैठक में कहा कि पिछले 75 साल से अधिक समय में सभी पांच स्थायी सदस्यों ने अपने-अपने राजनीतिक हित साधने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया है। कुल 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद के केवल पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं और उन्हीं के पास वीटो इस्तेमाल करने का अधिकार है। शेष 10 सदस्य दो साल के लिए अस्थायी रूप से चुने जाते हैं और उनके पास वीटो का अधिकार नहीं है।

भारत ने वीटो के राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाया

माथुर ने कहा, ‘‘वीटो का इस्तेमाल नैतिक दायित्वों से नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारों से प्रेरित होता है। जब तक यह अस्तित्व में है, वीटो का अधिकार रखने वाले सदस्य देश ऐसा करते रहेंगे, भले ही कितना भी नैतिक दबाव क्यों न हो।’’ जब ‘वीटो पहल’ संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया था, उस समय भारत ने प्रस्ताव को पेश करने में समावेशिता की कमी पर ‘‘खेद’’ व्यक्त किया था। माथुर ने दोहराया कि वीटो संबंधी प्रस्ताव ‘‘दुर्भाग्य से’’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों संबंधी सीमित दृष्टिकोण को दर्शाता है और यह ‘‘समस्या के मूल कारण की अनदेखी करते हुए एक ही पहलू को उजागर करता है।’

केवल 5 सदस्यों को वीटो देना अन्य देशों की संप्रभुता से खिलवाड़

’ उन्होंने कहा, ‘‘वीटो इस्तेमाल करने का विशेषाधिकार केवल पांच सदस्यों को दिया गया है। यह देशों की संप्रभु समानता की अवधारणा के विपरीत है और द्वितीय विश्व युद्ध की केवल इस मानसिकता को बनाए रखता है कि ‘लूटा गया सामान केवल विजेता का होता है’।’’ माथुर ने यूएनएससी सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ताओं में अफ्रीका के रुख को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘सैद्धांतिक रूप से वीटो को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। बहरहाल, आम न्याय की बात करें, तो जब तक यह बना रहता है, तब तक इसमें नए स्थायी सदस्यों को शामिल करके उन्हें भी यह अधिकार दिया जाना चाहिए।’’

राष्ट्रों के साथ मतदान में समान व्यवहार की मांग

माथुर ने जोर देकर कहा कि मतदान के अधिकार के संदर्भ में या तो सभी राष्ट्रों के साथ समान व्यवहार किया जाए या फिर नए स्थायी सदस्यों को भी वीटो का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे विचार में नए सदस्यों को वीटो का अधिकार दिए जाने से परिषद की प्रभावशीलता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’ भारत ने वीटो के सवाल सहित यूएनएससी सुधार के सभी पांच पहलुओं से आईजीएन (अंतरसरकारी वार्ता) प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से परिभाषित समयसीमा के जरिए व्यापक तरीके से निपटने की आवश्यकता को रेखांकित किया। ये पांच पहलू हैं- सदस्यता की श्रेणियां, वीटो का सवाल, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, एक विस्तृत परिषद का आकार एवं परिषद के काम करने के तरीके और सुरक्षा परिषद एवं महासभा के बीच संबंध।

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