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भारत और अमेरिका अंतरिक्ष के क्षेत्र में मिलकर करेंगे काम, दोनों देश कर रहे हैं बड़ी प्लानिंग

भारत और अमेरिका दोस्ती की नई इबारत लिखने को तैयार है। दोनों देश मिलकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करेंगे। इसे लेकर दोनों देशों के बीच अहम बैठक भी हुई है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: May 25, 2024 11:08 IST
इसरो- India TV Hindi
Image Source : FILE इसरो

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भागीदारी को और आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। भारत और अमेरिका के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा करने के मुलाकात की है। भारत और अमेरिका के अधिकारियों ने अंतरिक्ष से जुड़े उद्योग के साथ सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान पर भी बात की है। अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई।

भारत-अमेरिका संबंध 

दूसरे वार्षिक ‘यूएस-इंडिया एडवांस्ड डोमेन्स डिफेंस डायलॉग’ की बैठक में अधिकारियों ने द्विपक्षीय सहयोग की विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की। अमेरिकी दल का नेतृत्व अंतरिक्ष नीति के कार्यवाहक सहायक रक्षा मंत्री विपिन नारंग ने किया और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संयुक्त सचिव विश्वेश नेगी ने किया। रक्षा विभाग की प्रवक्ता कमांडर जेसिका एंडरसन ने कहा कि इस वर्ष के संवाद के दौरान, नारंग और नेगी ने अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा की और अमेरिकी उद्योग के साथ सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान की। 

अंतरिक्ष स्टेशन पर भारतीय 

बता दें कि, हाल ही में भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने जानकारी देते हुए कहा था कि अमेरिका इस वर्ष के अंत तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजेगा। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच एनआईएसएआर (NISAR) परियोजना के तहत एक संयुक्त मिशन को भी इस वर्ष के अंत तक शुरू किया जा सकता है। 

अनुसंधान और प्रौद्योगिकी पर देना होगा ध्यान 

एरिक गार्सेटी ने यह भी कहा था कि भारत और अमेरिका को अनुसंधान और उभरती प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस तरह से दोनों देश एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा था कि भारत ने पिछले साल मिशन चंद्रयान 3 पर जितनी राशि खर्च की, उतनी ही राशि अमेरिका ने भी इसी तरह के चंद्र मिशन पर खर्च की थी। गार्सेटी ने यह भी कहा था कि अमेरिका के पास कुछ क्षमताएं हैं, जिनकी कमी आज भी भारत में हैं। दोनों देशों को मिलकर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाना होगा। (भाषा)

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